नई दिल्ली। बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस एक बार फिर विवादों में हैं। पाकिस्तान के अधिकारी को विवादित नक्शा भेंट करने के बाद अब उन्होंने कनाडाई प्रतिनिधिमंडल के सामने वही हरकत दोहराई है। यूनुस ने बांग्लादेश दौरे पर आए कनाडा के अधिकारियों को एक किताब भेंट की, जिसके कवर पर बांग्लादेश का ऐसा नक्शा छपा है जिसमें भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्से बांग्लादेश की सीमा के भीतर दिखाए गए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, यह किताब कथित रूप से इस्लामी संगठन “सल्तनत-ए-बांग्ला” से जुड़ी है, जो “ग्रेटर बांग्लादेश” की अवधारणा को बढ़ावा देता है। यूनुस द्वारा विदेशी प्रतिनिधियों को इस तरह की सामग्री भेंट किया जाना किसी कूटनीतिक भूल से कहीं अधिक गंभीर मामला माना जा रहा है।
राजनीतिक और कूटनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य न केवल भारत को उकसाना है, बल्कि बांग्लादेश के भीतर कुछ कट्टरपंथी समूहों को खुश करना भी है। बांग्लादेश की विदेश नीति पर नज़र रखने वाले एक विशेषज्ञ ने कहा, “यह कोई गलती नहीं, बल्कि संकेत है। यूनुस देश के भीतर एक खास वर्ग के समर्थन को मजबूत करना चाहते हैं और इसके लिए भारत-विरोधी भावनाओं को हवा दे रहे हैं।”
यह पहली बार नहीं है जब यूनुस ने विवाद खड़ा किया हो। बीते महीने उन्होंने एक पाकिस्तानी जनरल को भी वही नक्शा सौंपा था, जिसमें भारत के पूर्वोत्तर हिस्सों को बांग्लादेश का अंग दिखाया गया था। उस घटना के बाद भी बांग्लादेश सरकार ने कोई सफाई नहीं दी थी, जिससे इस पूरे मामले पर और सवाल उठे थे।
यूनुस पहले भी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर टिप्पणी कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि “भारत के सात राज्य भूमि से घिरे हुए हैं और उनके पास समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है।” उनके इस बयान पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। भारत ने बांग्लादेश को भूगोल का पाठ पढ़ाते हुए स्पष्ट किया था कि पूर्वोत्तर भारत की स्थलीय और नदीय सीमाएं अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत परिभाषित हैं और उनमें कोई विवाद नहीं है।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में यूनुस को चेतावनी दी थी कि उन्हें “सोच-समझकर बोलना चाहिए” और भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल उठाने से बचना चाहिए।
विश्लेषकों का मानना है कि यूनुस की यह हरकत न केवल भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा सकती है, बल्कि बांग्लादेश के भीतर राजनीतिक अस्थिरता को भी गहरा सकती है। फिलहाल, भारतीय विदेश मंत्रालय इस घटनाक्रम पर करीबी नज़र बनाए हुए है।
