नई दिल्ली । कनाडा (Canada)के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Former Prime Minister Justin Trudeau)के कार्यकाल में खराब हुए भारत-कनाडा संबंधों(India-Canada relations) में एक बार फिर से नजदीकी आने लगी है। भारत दौरे पर आई कनाडाई विदेश मंत्री अनीता आनंद ने प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बैठक की। इन बैठकों में दोनों देशों ने व्यापार, महत्वपूर्ण खनिजों और ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी रोडमैप का अनावरण किया। गौरतलब है कि खालिस्तानी कनाडाई आतंकवादी निज्जर की हत्या के बाद से दोनों देशों के बीच में तनाव आ गया था। अनीता आनंद की यह यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयास का हिस्सा हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर के साथ हैदराबाद हाउस में संपन्न हुई बैठक में अनीता आनंद ने दोनों देशों के बीच संबंधों को सुधारने पर अपनी सहमति जताई। उन्होंने वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं और एक-दूसरे की रणनीतिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए जल्दी ही द्विपक्षीय व्यापार और निवेश पर मंत्रिस्तरीय चर्चा शुरू करने पर भी हामी भरी। ऐसा माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान ही भारतीय पक्ष ने कनाडा में पनपते खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों पर भी अपनी चिंता व्यक्त की।
बैठक के बाद दोनों देशों की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दो पक्ष एक-दूसरे की चिंताओं और संवेदनशीलताओं के सम्मान, दोनों देशों के लोगों के बीच संबंधों और बढ़ती आर्थिक जरूरतों को आधार पर एक बेहतर और संतुलित साझेदारी की तरफ आगे बढ़ेंगे।
निवेश, एआई और खनिज तत्वों पर बनी सहमति
दोनों विदेश मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक के बाद भारत और कनाडा आर्थिक क्षेत्र में एक-दूसरे के साथ काम करने को लेकर सहमत हुए हैं इसके तहत जल्दी ही दोनों देशों के बीच में मंत्रीस्तरीय वार्ता की शुरुआत होगी। इससे पिछले कुछ समय से रुकी हुए आर्थिक बातचीत एक बार फिर से शुरु होगी। इसके अलावा फरवरी में भारत में आयोजित होने वाली एआई समिट में भी कनाडाई कंपनियों और वैज्ञानिकों को शामिल किया जाएगा। इससे दोनों देशों के बीच में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में काम किया जा सकेगा।
द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर सहमति
ट्रूडो द्वारा भारत सरकार के ऊपर निज्जर की हत्या के आरोप लगाने के बाद संबंधों में इस कदर दरार आई थी कि भारत ने अपने राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया था, जबकि कनाडा के राजनयिकों को देश से बाहर निकाल दिया था। अब विदेश मंत्रियों की इस बैठक के बाद राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा और तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञों की संख्या को बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इससे न केवल औपचारिक कूटनीतिक संबंधों का विस्तार होगा बल्कि दोनों देशों के बीच में निर्णय लेने और गलतफहमियों को दूर करने में आसानी होगी।
आपको बता दें दोनों विदेश मंत्रियों के बीच यह वार्ता प्रधानमंत्री मोदी और उनके कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी के बीच जून में कनाडा के जी-7 कनानसकीस में हुई बैठक के चार महीने बाद संपन्न हुई है।
