नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान के साथ जारी सीमा विवाद के बीच अफगानिस्तान का खुलकर समर्थन किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को अंजाम देने के प्रयास पड़ोसी देशों के लिए अस्वीकार्य हैं। यह टिप्पणी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच इस्तांबुल में रुकी हुई शांति वार्ता के बीच आई, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान ढूंढ़ना था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया, “पाकिस्तान इस बात से नाराज है कि अफगानिस्तान अपने क्षेत्रों पर संप्रभुता का प्रयोग कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तान को लगता है कि उसे दंड से मुक्त होकर सीमा पार आतंकवाद करने का अधिकार है। पड़ोसी देशों के लिए यह अस्वीकार्य है। भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव इस महीने की शुरुआत में बढ़ा, जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा हुई। इसके तुरंत बाद काबुल पर पाकिस्तानी हवाई हमलों की खबरें आईं, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष छिड़ गया। अफगानिस्तान ने कड़ा जवाब दिया और स्थिति गंभीर हो गई। कतर और तुर्की की मध्यस्थता में 19 अक्टूबर को दोनों पक्षों ने संघर्षविराम पर हस्ताक्षर किए।
हालांकि संघर्षविराम के बावजूद कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तानी तालिबान के बीच झड़पें जारी रहीं। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने बुधवार को कहा कि शांति वार्ता बिना किसी ठोस परिणाम के समाप्त हो गई है। वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी इस गतिरोध को लेकर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने धमकी दी कि यदि भविष्य में उनके देश में कोई भी आतंकवादी हमला होता है, तो वे अफगान तालिबान को ‘खत्म’ कर देंगे और अफगानिस्तान पर भारत के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया।
इस बीच, भारत-अफगानिस्तान संबंधों में जल संसाधन और विकास परियोजनाओं को लेकर सहयोग जारी है। जब सवाल उठाया गया कि क्या भारत, अफगानिस्तान की कुनार नदी पर बांध बनाने की योजना में मदद करेगा, तो जायसवाल ने कहा कि मुत्ताकी की यात्रा के दौरान जारी संयुक्त बयान में भारत ने जलविद्युत परियोजनाओं सहित सतत जल प्रबंधन के सभी प्रयासों का समर्थन करने की अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत और अफगानिस्तान के बीच जल मामलों पर सहयोग का लंबा इतिहास है, जिसमें सलमा बांध और हेरात प्रांत में भारत-अफगानिस्तान मैत्री बांध जैसी परियोजनाएं शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की यह स्थिति न केवल अफगानिस्तान की संप्रभुता के प्रति समर्थन दिखाती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने के प्रयासों में भी अहम भूमिका निभाती है। पड़ोसी देशों के बीच जारी तनाव और पाकिस्तान के दावे पर प्रतिक्रिया के रूप में भारत ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार के सीमा पार आतंकवाद को सहन नहीं किया जाएगा।
इस प्रकार, भारत ने अफगानिस्तान के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को मजबूत करते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के मामलों में पड़ोसी देशों की जिम्मेदारी अहम है।
