नई दिल्ली । पाकिस्तान ने बुधवार को घोषणा की कि सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) के तहत ‘तटस्थ विशेषज्ञ कार्यवाही’ (Expert Proceedings) का अगला चरण 17 से 21 नवंबर तक वियना में आयोजित किया जाएगा। यह बैठक विश्व बैंक की मध्यस्थता में हो रही है, जो 1960 में हुई इस संधि के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल वितरण को नियंत्रित करती है।
हालांकि, भारत ने इस कार्यवाही से दूरी बना ली है। विदेश कार्यालय (Foreign Office) द्वारा जारी बयान के मुताबिक, पाकिस्तान ने स्पष्ट किया है कि भारत की गैर-भागीदारी के बावजूद कार्यवाही आगे बढ़ेगी। पाकिस्तान ने कहा कि तटस्थ विशेषज्ञ ने यह निर्णय दिया है कि “भारत की अनुपस्थिति से प्रक्रिया पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”
भारत ने अप्रैल में किया था संधि निलंबित
भारत ने इस वर्ष 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा 26 लोगों की हत्या के बाद सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी। इसके बाद से भारत ने इस संधि से जुड़ी सभी गतिविधियां रोक दीं। वहीं, पाकिस्तान ने 19 सितंबर को संधि के प्रावधानों के तहत भारत के खिलाफ पंचाट कार्यवाही (Arbitration Proceedings) शुरू की।
पाकिस्तान का दावा और बयान
बुधवार को जारी अपने बयान में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसने पंचाट न्यायालय के हालिया निर्णय का संज्ञान लिया है, जिसमें सिंधु जल संधि की सामान्य व्याख्या से जुड़े मुद्दों पर कुछ स्पष्टीकरण दिए गए हैं। इसके साथ ही मंत्रालय ने यह भी बताया कि न्यायालय ने अपने प्रक्रियात्मक आदेश में पुष्टि की है कि पंचाट और तटस्थ विशेषज्ञ की कार्यवाहियां चरणबद्ध रूप से जारी रहेंगी।
पाकिस्तान ने कहा कि वह इस प्रक्रिया में “सद्भावनापूर्वक पूर्ण भागीदारी” कर रहा है, जबकि भारत ने अपनी भागीदारी रोकने का निर्णय लिया है। पाकिस्तान के अनुसार, तटस्थ विशेषज्ञ की कार्यवाही भारत के अनुरोध पर ही शुरू की गई थी।
भारत का रुख और आगे की योजना
भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह इस संधि की मौजूदा शर्तों पर पुनर्विचार करना चाहता है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान लगातार आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देकर संधि की भावना का उल्लंघन कर रहा है।
इसी बीच, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अक्टूबर में कहा था कि संधि निलंबित होने के बाद अब पाकिस्तान की ओर छोड़ा जाने वाला पानी अगले एक से डेढ़ साल के भीतर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कदम से उत्तर भारत के जल संकट को कम करने में मदद मिलेगी।
सिंधु जल संधि को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी यह खींचतान दोनों देशों के रिश्तों में एक और संवेदनशील अध्याय जोड़ रही है, जबकि विश्व बैंक की मध्यस्थता में चल रही प्रक्रिया से जल्द किसी समाधान की उम्मीद फिलहाल कम ही दिख रही है।
