नई दिल्ली । बांग्लादेश में प्याज के दामों में अचानक वृद्धि ने आम लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। कुछ ही दिनों में कीमतें दोगुनी हो गई हैं, जिससे घरेलू बजट प्रभावित हुआ है और बाजारों में हड़कंप मच गया है। राजधानी ढाका समेत चिटगांव, राजशाही और खुलना जैसे बड़े शहरों में प्याज अब 110 से 120 टका प्रति किलो तक बिक रही है।
कुहासा से लेकर छोटे कस्बों तक उपभोक्ता महंगाई की मार झेल रहे हैं। कुछ दिन पहले तक प्याज 60 टका प्रति किलो बिक रही थी, लेकिन अब दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। खुदरा विक्रेता बताते हैं कि थोक बाजार में बढ़ती कीमतों के कारण उन्हें भी महंगा बेचने के अलावा कोई चारा नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस महंगाई की सबसे बड़ी वजह भारत से प्याज के आयात में बाधा है। भारत सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी। इस फैसले का असर बांग्लादेश पर सीधे पड़ा, जहां घरेलू स्टॉक लगभग खत्म होने की कगार पर है। परिणामस्वरूप मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन ने दाम आसमान छूने पर मजबूर कर दिया।
चिटगांव और राजशाही के आयातक मानते हैं कि जब तक भारत से आयात फिर शुरू नहीं होता या नई फसल बाजार में नहीं आती, तब तक कीमतों में और बढ़ोतरी की संभावना बनी रहेगी। वहीं, कंज्यूमर एसोसिएशन ऑफ बांग्लादेश ने आरोप लगाया है कि कुछ व्यापारी जानबूझकर कृत्रिम संकट पैदा कर रहे हैं ताकि दाम बढ़ें और सरकार जल्द आयात की अनुमति देने पर मजबूर हो जाए।
इस साल बांग्लादेश में रबी सीजन की प्याज की फसल भी देर से तैयार हुई है। आमतौर पर अक्टूबर के मध्य तक कटाई पूरी हो जाती थी, लेकिन देरी के कारण बाजार में आपूर्ति घट गई। आयातक और व्यापारी दोनों मानते हैं कि अगर सरकार तुरंत आयात की अनुमति देती है, तो अगले ही दिन दामों में राहत मिल सकती है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए सख्त बाजार निगरानी और समय पर आयात जरूरी है। ऐसा न होने पर न केवल कृत्रिम कमी और जमाखोरी बढ़ेगी, बल्कि आम जनता की रोजमर्रा की जिंदगी और रसोई का बजट भी प्रभावित होगा।
