नई दिल्ली । अमेरिका ने दावा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील के बाद भारत और चीन ने रूस से तेल की खरीद में कमी की है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलाइन लीविट के मुताबिक, ट्रंप यूक्रेन युद्ध के जारी रहने से नाराज़ हैं और रूस की आय घटाने के लिए सख्त कदम उठाने पर जोर दे रहे हैं। इसी के तहत अमेरिका ने रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नई पाबंदियां लगाई हैं।
लीविट ने कहा कि चीन ने भी अपनी रूसी तेल खरीद में कमी की है। हालांकि भारत ने अमेरिका के इस दावे को खारिज करते हुए साफ किया है कि उसकी ऊर्जा नीति पूरी तरह राष्ट्रीय हितों और जनता की जरूरतों को ध्यान में रखकर तय की जाती है, न कि किसी बाहरी दबाव में।
भारत का दो टूक जवाब
भारत ने स्पष्ट किया कि उसने रूस से तेल खरीद के फैसले किसी देश के दबाव में नहीं, बल्कि अपने आर्थिक हितों और ऊर्जा सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिए हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत का उद्देश्य नागरिकों तक सस्ता और स्थिर तेल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। इसी बीच, भारत-अमेरिका संबंधों में तनातनी बढ़ी है, क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है।
रूस पर ट्रंप की नाराजगी
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से ट्रंप की नाराज़गी भी बढ़ी है। उनका मानना है कि पुतिन यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहे। दोनों नेताओं की एक मुलाकात इस वर्ष प्रस्तावित थी, लेकिन रूस द्वारा अमेरिका का युद्धविराम प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद वह बैठक फिलहाल टल गई है।
पुतिन का पलटवार
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उन्होंने रूस पर आर्थिक पाबंदियां इसलिए लगाईं क्योंकि उन्हें लगा कि “अब इसका समय आ गया है।” व्हाइट हाउस के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच संवाद पूरी तरह बंद नहीं हुआ है और अगर परिस्थितियाँ अनुकूल रहीं तो भविष्य में मुलाकात संभव है। वहीं मॉस्को में राष्ट्रपति पुतिन ने अमेरिकी पाबंदियों को “बेअसर” बताते हुए कहा कि कोई भी आत्मसम्मान वाला देश बाहरी दबाव में निर्णय नहीं लेता।
