नई दिल्ली । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दावा किया है कि पाकिस्तान अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि रूस, चीन और उत्तर कोरिया भी अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं। ट्रंप ने यह टिप्पणी 2 नवंबर को एक मीडिया इंटरव्यू में की, जिसमें उन्होंने अंतरराष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा और अमेरिका की भूमिका पर बात की।
ट्रंप ने बताया कि अमेरिका इस समय एकमात्र ऐसा देश है जो परमाणु परीक्षण नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा, “रूस और चीन परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन इसके बारे में सार्वजनिक रूप से नहीं बोलते। अमेरिका खुला समाज होने के कारण इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करता है। अन्य देशों के पास ऐसे पत्रकार नहीं हैं जो परीक्षणों की रिपोर्ट करें।” उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस, चीन, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान सभी देश अपने परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं।
ट्रंप का यह बयान रूस द्वारा पोसाइडन अंडरवाटर ड्रोन सहित उन्नत परमाणु-सक्षम प्रणालियों का परीक्षण करने के सवाल पर आया। उन्होंने कहा कि रूस ने परीक्षण की घोषणा की थी और उत्तर कोरिया लगातार परीक्षण कर रहा है। उनका कहना था कि अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं बनना चाहता जो परीक्षण न करे।
अमेरिका के पास पर्याप्त हथियार
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के पास अन्य देशों से अधिक परमाणु हथियार हैं और दुनिया को 150 बार तबाह करने के लिए पर्याप्त क्षमता मौजूद है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण पर चर्चा की है।
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि अमेरिका अब परमाणु हथियारों के परीक्षण फिर से शुरू करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के लिए यह आवश्यक है क्योंकि अन्य देश पहले से परीक्षण कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने परीक्षण के समय और स्थान के बारे में कोई जानकारी नहीं दी।
वैश्विक सुरक्षा पर बढ़ती चिंता
ट्रंप के इस बयान के साथ ही अमेरिका और रूस के बीच प्लूटोनियम निपटान समझौते के खत्म होने के कदम ने वैश्विक सुरक्षा पर नई चिंता पैदा कर दी है। यह समझौता 2000 में अमेरिका और रूस के बीच हुआ था, जिसके तहत अतिरिक्त प्लूटोनियम को सैन्य उपयोग के लिए नष्ट करने का वादा किया गया था। इस समझौते का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना था।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब अमेरिका और रूस के बीच इस समझौते के समाप्त होने और अमेरिका द्वारा परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की योजना के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु तनाव बढ़ सकता है। ट्रंप का बयान वैश्विक सुरक्षा और हथियार नियंत्रण पर बहस को फिर से ताज़ा करता है।
ट्रंप की टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं रहना चाहता और परमाणु हथियारों के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना चाहता है। साथ ही, यह कदम वैश्विक समुदाय के लिए नई चिंताओं और सुरक्षा जोखिमों का संकेत भी देता है।
