मध्य प्रदेश श्योपुरके कूनो नेशनल पार्क में भारतीय मूल की मादा चीता मुखी ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है। यह उपलब्धि भारत के चीता पुन परिचय कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक सफलता मानी जा रही है। मां और शावक पूरी तरह स्वस्थ बताए गए हैं। यह पहली बार है जब भारत में जन्मी किसी मादा चीता ने देश की धरती पर सफल प्रजनन किया है। लगभग 33 महीने की मुखी अब प्रोजेक्ट चीता की पहली ऐसी मादा बन गई है जिसने पांच शावकों को जन्म देकर संरक्षण प्रयासों की सफलता को मजबूती दी है।
कूनो में चीता प्रजनन सफल, सीएम ने टीम को बधाई दी
विशेषज्ञों के अनुसार, यह सफल प्रजनन इस बात का महत्वपूर्ण संकेत है कि चीते भारतीय आवासों में तेजी से अनुकूल हो रहे हैं। उनका स्वास्थ्य और व्यवहार प्राकृतिक परिस्थितियों में संतोषजनक पाया गया है। यह उपलब्धि भारत में एक आत्मनिर्भर स्थिर और आनुवंशिक रूप से विविध चीता जनसंख्या स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे देश के दीर्घकालिक संरक्षण लक्ष्यों को बल मिलेगा और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में भारत की वैश्विक छवि मजबूत होगी।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस खबर को सोशल मीडिया के जरिए से साझा किया। उन्होंने कूनो की टीम और वन विभाग को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए बधाई दी।
भारत में 32 तो कूनो नेशनल पार्क में चीता की संख्या 29 हुई
वर्तमान में भारत में चीतों की कुल संख्या 32 हो गई है जिसमें से 29 चीते मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में और 3 चीते गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में रखे गए हैं। यह संख्या चीता पुनर्वास परियोजना की स्थिरता को प्रदर्शित करती है। नामीबियाई मादा चीता ज्वाला सियाया की संतान मुखी जिसे ज्वाला की बेटी होने के कारण मुखी नाम दिया गया का सफल प्रजनन इस उपलब्धि का केंद्र है। मुखी द्वारा पांच शावकों को जन्म देना न केवल संख्या बढ़ाता है, बल्कि यह भी स्थापित करता है कि भारत में जन्मी चीता यहां के पर्यावरण में सफलतापूर्वक प्रजनन कर सकती है। यह उपलब्धि भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो देश में चीता के दीर्घकालिक भविष्य के लिए आशा जगाती है।
वर्तमान में भारत में चीतों की कुल संख्या 32 हो गई है जिसमें से 29 चीते मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में और 3 चीते गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में रखे गए हैं। यह संख्या चीता पुनर्वास परियोजना की स्थिरता को प्रदर्शित करती है। नामीबियाई मादा चीता ज्वाला सियाया की संतान मुखी जिसे ज्वाला की बेटी होने के कारण मुखी नाम दिया गया का सफल प्रजनन इस उपलब्धि का केंद्र है। मुखी द्वारा पांच शावकों को जन्म देना न केवल संख्या बढ़ाता है, बल्कि यह भी स्थापित करता है कि भारत में जन्मी चीता यहां के पर्यावरण में सफलतापूर्वक प्रजनन कर सकती है। यह उपलब्धि भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जो देश में चीता के दीर्घकालिक भविष्य के लिए आशा जगाती है।
यह तीसरी पीढ़ी यहां के मौसम के प्रति ज्यादा अनुकूलन करेगी
मुखी ज्वाला की संतान द्वारा पाँच शावकों को जन्म देना प्रोजेक्ट चीता के लिए एक अभूतपूर्व पीढ़ीगत छलांग है। यदि ज्वाला को पहली पीढ़ी आयातित मानें तो मुखी दूसरी पीढ़ी है और मुखी के शावक तीसरी पीढ़ी हैं।कूनो नेशनल पार्क के अधिकारियों के अनुसार ये तीसरी पीढ़ी के शावक भारत की धरती पर पैदा हुई मां मुखी की संतान है जो इन्हें भारतीय वातावरण के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में मदद करेगी क्योंकि वह जन्म के साथ यहां के मौसम से अनुकूलन कर रही है। इनका प्राकृतिक रूप से यहाँ जन्म लेना, चीता प्रोजेक्ट की बढ़ी सफलता है।
