नई दिल्ली।राजधानी में बढ़ती भीड़-भाड़, सामाजिक तनाव और अचानक होने वाले प्रदर्शनों पर नियंत्रण के लिए पुलिस प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्र ने शहर की कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के उपाय के रूप में नया प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है, जो तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। यह आदेश न सिर्फ रैलियों और प्रदर्शन जैसे सार्वजनिक आयोजनों पर सीधा असर डालता है, बल्कि शहर में हथियार लेकर घूमने वालों पर भी सख्त कार्रवाई का रास्ता खोलता है।
पुलिस की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब राजधानी की सीमाओं में बिना अनुमति किसी भी प्रकार का धरना, जुलूस, रैली, पदयात्रा, सार्वजनिक सभा, सामूहिक कार्यक्रम या भीड़ इकट्ठा करने वाला आयोजन नहीं हो सकेगा। पुलिस का कहना है कि ऐसे कार्यक्रमों के दौरान कई बार विभिन्न समुदायों की धार्मिक, सामाजिक या सांस्कृतिक संवेदनाएं प्रभावित होने का खतरा बन जाता है, इसलिए एहतियात के तौर पर यह व्यवस्था लागू की जा रही है।
अधिकारी बताते हैं कि शहर में कई ऐसे आयोजन अचानक कर दिए जाते हैं, जिनके कारण यातायात प्रभावित होता है, पुलिस बल की तैनाती बढ़ानी पड़ती है और कई बार विवाद की स्थिति भी खड़ी हो जाती है। इसीलिए, हालात को नियंत्रित करने और हर स्तर पर शांतिपूर्ण वातावरण बनाए रखने के लिए अनुमति प्रणाली को सख्त किया जा रहा है।
मंच से नफरत फैलाने वाली भाषा पर कड़ी निगरानी
नए आदेश का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि मंच से दिए जाने वाले भाषणों और नारों पर विशेष नजर रखी जाएगी। पुलिस आयुक्त ने साफ कहा है कि किसी भी समुदाय या वर्ग को लक्ष्य बनाकर दिए जाने वाले वक्तव्य, भड़काऊ भाषण, उत्तेजक नारे या विभाजनकारी बयान अब किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। ऐसे मामलों में न सिर्फ वक्ता पर कार्रवाई होगी, बल्कि आयोजकों को भी बराबर जिम्मेदार माना जाएगा। आयोजकों पर शांति भंग, उत्तेजना फैलाने या सामाजिक सौहार्द्र को बिगाड़ने की संभावनाओं के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सार्वजनिक स्थानों पर हथियार ले जाने पर पूरी तरह रोक
शहर में कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए एक और कड़ा कदम उठाते हुए पुलिस ने सार्वजनिक स्थानों पर हथियार लेकर चलने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है। इनमें आग्नेयास्त्र, धारदार एवं नुकीले हथियार, तलवार-जैसी वस्तुएं, चाकू, लोहे की रॉड जैसी सामग्री शामिल है। पुलिस का कहना है कि कई बार धार्मिक जुलूसों या सामाजिक कार्यक्रमों में लोग परंपरा के नाम पर हथियार लेकर निकल जाते हैं, जिससे दुर्घटना या विवाद का खतरा बढ़ जाता है। अब ऐसे मामले सामने आने पर तुरंत गिरफ्तारी और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शांति और सुरक्षा के लिए कदम, किसी समूह के खिलाफ नहीं
कथित तौर पर कुछ राजनैतिक दलों और धार्मिक संगठनों ने इसे अपनी स्वतंत्रता पर रोक बताने की कोशिश की, लेकिन पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र ने स्पष्ट कहा कि यह आदेश किसी भी समूह, संगठन या धर्म के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा, “राजधानी में अमन-शांति बनाए रखना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। यह आदेश सिर्फ कानून-व्यवस्था की दृष्टि से जारी किया गया है, न कि किसी विशेष संगठन या समुदाय को निशाना बनाने के लिए।”
उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में शहर में अचानक हुए प्रदर्शनों, विवादित भाषणों और भीड़ इकट्ठा होने की घटनाओं के कारण पुलिस को कई बार अतिरिक्त बल लगाना पड़ा है। ऐसे हालात में शहर की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह आदेश जरूरी हो गया था। पुलिस आयुक्त ने यह भी बताया कि यह आदेश अगले आदेश जारी होने तक प्रभावी रहेगा। आम तौर पर ऐसे आदेश 15 से 30 दिन की अवधि के लिए लागू किए जाते हैं, लेकिन स्थिति और जरूरत को देखते हुए इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
