भोपाल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जीवनसाथी की तलाश आज के समय का एक सामान्य और सुविधाजनक विकल्प बन गया है, लेकिन इसी सुविधा ने साइबर अपराधियों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। बीते कुछ वर्षों में मैट्रिमोनियल वेबसाइटों और ऐप्स के माध्यम से होने वाली ठगी के मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिली है। भोपाल और मध्य प्रदेश के अन्य शहर साइबर ठगों के लिए आसान निशाना बनते जा रहे हैं। कारण साफ है लोग शादी जैसे संवेदनशील विषय पर जल्दी भरोसा कर लेते हैं और इसी भरोसे का फायदा उठाकर अपराधी लाखों रुपये हड़प रहे हैं।
साइबर पुलिस के रिकॉर्ड बताते हैं कि अधिकांश मामलों में ठग खुद को एनआरआई, डॉक्टर, इंजीनियर या बड़ी कंपनी में उच्च पद पर काम करने वाला बताकर पीड़ित से संपर्क करते हैं। कई बार वे अपनी प्रोफाइल को वेरिफाइड भी दिखाते हैं जिससे भरोसा और अधिक बढ़ जाता है। वीडियो कॉल बहुत कम करते हैं लेकिन चैट पर लगातार बातचीत कर भावनात्मक रूप से नजदीकियाँ बढ़ाते हैं। यही भावनात्मक कनेक्शन आगे चलकर ठगी की जमीन तैयार करता है।
भोपाल साइबर सेल का कहना है कि अपराधी पहले पीड़ित का विश्वास जीतने की कोशिश करते हैं। वे अपने बारे में भावनात्मक कहानियाँ बताते हैं जैसे-माता-पिता की मृत्यु विदेश में अकेलापन या जल्दी शादी की इच्छा। बातचीत बढ़ने के बाद वे अचानक किसी मेडिकल इमरजेंसी, कस्टम क्लीयरेंस, पैकेज अटका होने या विदेश से लौटने के लिए अतिरिक्त चार्ज देने जैसी वजह बताकर पैसे मांगने लगते हैं। कई मामलों में महिलाओं को भरोसा दिलाने के लिए वे नकली टिकट अस्पताल के बिल या कस्टम पेपर भी भेजते हैं।
एक बार पैसा भेज दिए जाने के बाद वे धीरे–धीरे संपर्क कम कर देते हैं या सीधे ब्लॉक कर देते हैं। जब पीड़ित को एहसास होता है कि वह ठगी का शिकार हो चुका है, तब तक हजारों से लाखों रुपये खो चुके होते हैं।
साइबर सेल के आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति बेहद चिंताजनक है। वर्ष 2024 में मध्य प्रदेश में 521 साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज हुए जबकि 2025 की केवल पहली छमाही में ही लगभग 800 शिकायतें आ चुकी हैं। इसका मतलब है कि इस वर्ष ऐसे मामलों में लगभग 50% से अधिक वृद्धि दर्ज हुई है। इनमें से एक बड़ा हिस्सा मैट्रिमोनियल ठगी का है, जो यह दर्शाता है कि अपराधी अब जीवनसाथी खोजने वालों को मुख्य निशाना बना रहे हैं।
भोपाल के साइबर विशेषज्ञों के अनुसार अपराधियों की सबसे बड़ी ताकत पीड़ित की भावनाएँ होती हैं। शादी का विषय संवेदनशील होता है, और परिवार के दबाव में लोग जल्दी निर्णय लेने लगते हैं। ऐसे में वे तथ्यों की जांच करने की बजाय सामने वाले की बातों पर जल्दी विश्वास कर लेते हैं। कई बार महिलाएँ सामाजिक दबाव या उम्र बढ़ने के डर से भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाती हैं और अपराधी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि मैट्रिमोनियल साइटों पर किसी भी व्यक्ति से बातचीत करते हुए इन सावधानियों को जरूर अपनाना चाहिए
-सामने वाले से वीडियो कॉल अवश्य करें और उसकी पहचान की पुष्टि करें।
-कभी भी किसी मेडिकल इमरजेंसी या कस्टम क्लीयरेंस के नाम पर पैसे न भेजें।
-प्रोफाइल के ‘वेरिफाइड’ होने से उसके असली होने की गारंटी नहीं होती।
-यदि कोई व्यक्ति बार-बार पैसे मांगता है या जल्दबाज़ी दिखाता है, तो तुरंत सतर्क हो जाएँ।
-संदिग्ध गतिविधि दिखने पर तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें।
अंत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर जीवनसाथी खोजना गलत नहीं है लेकिन सतर्क रहना बेहद महत्वपूर्ण है। भरोसा करने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करें, क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही आपकी मेहनत की कमाई को खतरे में डाल सकती है। बढ़ते मामलों को देखते हुए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि जागरूकता ही साइबर ठगी से बचने का सबसे प्रभावी उपाय है।
