ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने पारिवारिक पेंशन से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण और स्पष्ट निर्णय दिया है। कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि मृत सरकारी कर्मचारी के विवाहित पुत्र का फैमिली पेंशन पाने का अधिकार समाप्त नहीं किया जा सकता। नियमों के अनुसार, पुत्र को 25 वर्ष की आयु तक पारिवारिक पेंशन मिलेगी, भले ही उसका विवाह हो गया हो या नहीं।कोर्ट ने ऊर्जा विभाग द्वारा लगाई गई उस शर्त को अवैध करार दिया, जिसमें विवाह होने पर पेंशन बंद करने की बात कही गई थी।
6% ब्याज के साथ मिलेगा बकाया भुगतान
न्यायमूर्ति रोहित आर्या की एकल पीठ ने नीरज केवट द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। कोर्ट ने विभाग को दो टूक निर्देश दिए।
बकाया भुगतान: याचिकाकर्ता नीरज केवट को 16 मई 2021 से अब तक की संपूर्ण बकाया पारिवारिक पेंशन जारी की जाए।
ब्याज: बकाया राशि पर 6% वार्षिक ब्याज भी दिया जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवाह को पेंशन रोकने का आधार नहीं बनाया जा सकता, क्योंकि नियम 47(6) स्पष्ट है और विभाग द्वारा लगाई गई शर्त नियमों से परे तथा अवैध है।
नियम 47(6): पुत्र पर लागू नहीं विवाह की शर्त
मामला क्या था: याचिकाकर्ता नीरज के पिता गंगाराम केवट ऊर्जा विभाग में लाइन हेल्पर थे। उनके निधन के बाद विभाग ने नीरज को फैमिली पेंशन तो स्वीकृत की, लेकिन यह शर्त जोड़ दी कि विवाह होने पर पेंशन बंद कर दी जाएगी। इसी शर्त को नीरज ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता का तर्क: याचिका में तर्क दिया गया कि मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 के नियम 47(6) के अनुसार, विवाह आधारित शर्त केवल पुत्री पर लागू होती है, पुत्र पर नहीं। पुत्र को 25 वर्ष की आयु पूरी होने तक पेंशन पाने का अधिकार है।
कोर्ट ने ऊर्जा विभाग के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि नीरज विवाहित प्रतीत होता है, क्योंकि यह तर्क कानूनी प्रावधानों के विपरीत था। यह फैसला उन सभी सरकारी कर्मचारियों के बेटों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें पारिवारिक पेंशन के मामले में अनावश्यक शर्तों का सामना करना पड़ता है।
मध्यप्रदेश सिविल सेवा पेंशन नियम 1976 (नियम 47/6) और केंद्र सरकार के समान नियमों के तहत पुत्री के लिए पारिवारिक पेंशन के प्रावधान निम्नलिखित हैं।पुत्री पारिवारिक पेंशन की हकदार तभी मानी जाती है जब वह निम्नलिखित तीन शर्तों में से किसी एक को पूरा करती हो।
1. मूल पात्रता (विवाह की शर्त)
विवाह न होना: पुत्री तभी तक पारिवारिक पेंशन की हकदार होती है जब तक वह 25 वर्ष की आयु पूरी नहीं कर लेती या उसका विवाह नहीं हो जाता, इन दोनों में से जो भी पहले हो।25 वर्ष से पहले विवाह होने पर, पुत्री का पेंशन का अधिकार समाप्त हो जाता है।
2. अपवाद: पुनर्विवाहित/विधवा/तलाकशुदा पुत्री
यदि पुत्री अपने पिता/माता (मृत सरकारी कर्मचारी) पर आश्रित थी और उनकी मृत्यु के बाद निम्नलिखित स्थिति उत्पन्न होती है, तो वह पेंशन के लिए पात्र हो सकती है (बशर्ते वह 25 वर्ष की आयु पार कर चुकी हो):
सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद अगर पुत्री विधवा हो जाती है, तो वह पारिवारिक पेंशन की हकदार हो सकती है।सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद अगर पुत्री का कानूनी रूप से तलाक हो जाता है, तो भी वह हकदार हो सकती है।
ध्यान दें: विधवा या तलाकशुदा पुत्री के लिए पात्रता उसकी आय पर भी निर्भर करती है। नियम बताते हैं कि उसकी मासिक आय एक निश्चित सीमा (समय-समय पर संशोधित) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
3. अन्य महत्वपूर्ण शर्तें
आयु सीमा: सामान्यतः, पुत्रों की तरह, पुत्री के लिए भी 25 वर्ष की आयु पेंशन प्राप्त करने की ऊपरी सीमा है (जब तक कि वह विकलांग न हो)।25 वर्ष से अधिक आयु की विधवा/तलाकशुदा बेटियों के लिए आय मानदंड सबसे महत्वपूर्ण है।पुत्र के लिए विवाह एक बाधा नहीं है, जबकि पुत्री के लिए 25 वर्ष की आयु से पहले विवाह होना पारिवारिक पेंशन के अधिकार को समाप्त करने का एक प्रमुख आधार है।
