भोपाल। राजधानी भोपाल में आज, 12 नवंबर को जनजातीय कल्याण पर केंद्रित एक महत्वपूर्ण आयोजन होने जा रहा है। जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार और मध्य प्रदेश जनजाति कार्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में जनजातीय संगठनों का नेशनल कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा। इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर से जनजाति कल्याण के क्षेत्र में कार्य कर रहे संगठनों और विशेषज्ञों की उपस्थिति रहेगी।
मुख्यमंत्री करेंगे शुभारंभ, राज्यपाल होंगे समापन सत्र के मुख्य अतिथि
इस नेशनल कॉन्क्लेव का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे, जबकि समापन सत्र के मुख्य अतिथि राज्यपाल मंगुभाई पटेल होंगे। जनजाति कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। आयोजन का स्थल कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर, भोपाल रहेगा।
देशभर से जुटेंगे 500 से अधिक विशेषज्ञ
जनसम्पर्क अधिकारी अवनीश सोमकुंवर ने जानकारी दी कि इस दो दिवसीय नेशनल कॉन्क्लेव में देश के 500 से अधिक विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे। ये विशेषज्ञ जनजातीय समुदाय के शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, वन अधिकार और शासन-प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर गहन चर्चा करेंगे। सम्मेलन का उद्देश्य विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और जनजाति कार्य से जुड़े संस्थानों के अनुभवों का आदान-प्रदान करना है, ताकि नीति-निर्माण में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।
शिक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष सत्र
कॉन्क्लेव में जनजातीय समुदाय की शिक्षा और सशक्तिकरण पर विशेष सत्र रखा गया है। इसमें शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका, वर्तमान शिक्षा स्तर, शिक्षा में आने वाली चुनौतियों और “समग्र शिक्षा अभियान” की उपयोगिता पर विचार-विमर्श होगा। विशेषज्ञ इस बात पर चर्चा करेंगे कि कैसे जनजातीय अंचलों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाई जा सके और डिजिटल माध्यमों से बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके।
महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण पर चर्चा
जनजातीय समुदाय की महिलाओं के स्वास्थ्य और पोषण से जुड़े मुद्दों पर भी विशेष फोकस रहेगा। सत्र में टीकाकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की पहुंच, और टेली-मेडिसिन व एम-हेल्थ जैसे आधुनिक उपायों की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। इसमें गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी को लेकर ठोस सुझाव सामने लाए जाएंगे, ताकि जनजातीय महिलाओं और बच्चों तक स्वास्थ्य सेवाएं अधिक प्रभावी रूप से पहुंच सकें।
आजीविका और उद्यमिता पर केंद्रित विचार-विमर्श
कॉन्क्लेव में जनजातीय अर्थव्यवस्था और आजीविका से जुड़े सत्र भी होंगे। इसमें विशेषज्ञ यह चर्चा करेंगे कि जनजातीय युवाओं में उद्यमिता को कैसे बढ़ावा दिया जाए, स्थानीय संसाधनों के उपयोग से नए रोजगार अवसर कैसे पैदा किए जाएं, और स्व-सहायता समूहों की भूमिका को कैसे मजबूत किया जाए। इसके अलावा, वन अधिकार अधिनियम (FRA) के प्रभावी क्रियान्वयन में आ रही चुनौतियों पर भी चर्चा की जाएगी।
शासन और पंचायत राज संस्थाओं की भूमिका पर विमर्श
कॉन्क्लेव में जनजातीय विकास, शासन और प्रशासन से जुड़े पहलुओं पर भी विचार होगा। विशेषज्ञ यह चर्चा करेंगे कि पंचायत राज संस्थाएं, ग्राम सभाएं और पारंपरिक जनजातीय संस्थाएं किस प्रकार जनजातीय समुदाय के हित में बेहतर काम कर सकती हैं। राज्य सरकार की विकास योजनाओं में समुदाय की भागीदारी बढ़ाने के उपाय भी इस चर्चा का हिस्सा होंगे।
कॉन्क्लेव से नीति निर्माण को मिलेगा नया आयाम
नेशनल कॉन्क्लेव का उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत संगठनों और सरकार के बीच समन्वय की नई दिशा तय करना है। उम्मीद की जा रही है कि इस सम्मेलन से निकले निष्कर्ष न केवल नीति निर्माण में सहायक होंगे बल्कि जनजातीय समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में ठोस कदमों का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
