जबलपुर । मध्यप्रदेश में अब हर साल 15 नवंबर को राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाते हुए एक नई परंपरा शुरू की जा रही है। इस दिन राज्य की जेलों से अच्छे आचरण वाले आजीवन कारावास के कैदियों को समय से पूर्व रिहा किया जाएगा।जबलपुर केंद्रीय जेल से इस बार 32 कैदियों को सजा में छूट दी जा रही है। इन सभी बंदियों को 15 नवंबर को रिहा किया जाएगा। रिहा होने वाले कैदियों में 9 कैदी आदिवासी समुदाय से हैं।इन सभी ने आजीवन कारावास की सजा काटी है और जेल में उनका आचरण संतोषजनक पाया गया है।
मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक निर्णय
यह नई पहल भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर शुरू की गई है। इस निर्णय के साथ, मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ अब साल में पाँच अवसरों पर उम्रकैद की सजा पाए कैदियों को दंड में छूट देकर रिहा किया जाएगा।
छूट के लिए शामिल पाँच प्रमुख दिवस
15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस)
26 जनवरी (गणतंत्र दिवस)
2 अक्टूबर (गांधी जयंती)
14 अप्रैल (डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती)
15 नवंबर (भगवान बिरसा मुंडा जयंती – नया शामिल)
कानूनी प्रावधान
राज्य शासन ने दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 432, 433 और 433(क) में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए यह प्रावधान किया है। यह निर्णय राज्य में समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के साथ-साथ अच्छे आचरण वाले बंदियों को समाज की मुख्यधारा में लौटने का अवसर देगा।
भगवान बिरसा मुंडा: जीवन और योगदान
बिरसा मुंडा (15 नवंबर 1875 – 9 जून 1900) भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायकों में से एक हैं।
जीवन और संघर्ष
उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को छोटा नागपुर क्षेत्र (वर्तमान झारखंड) में हुआ था।
उलगुलान (महान हलचल): बिरसा मुंडा ने 19वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और स्थानीय जमींदारों द्वारा आदिवासी भूमि पर किए जा रहे अत्याचारों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन चलाया, जिसे ‘उलगुलान’ (Ulgulan) या ‘महान हलचल’ कहा जाता है।
उन्होंने ‘बिरसैत’ (Birsaite) नामक एक नया धर्म शुरू किया, जिसने आदिवासियों को अंधविश्वास और पाखंड से दूर रहने का संदेश दिया। उन्होंने खुद को भगवान का दूत घोषित किया और आदिवासियों को संगठित कर ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी।
उनका संघर्ष ‘जल, जंगल और जमीन’ पर आदिवासियों के अधिकारों को वापस दिलाना था, जिसे ब्रिटिश नीतियों, विशेषकर वन कानूनों (Forest Laws) ने छीन लिया था।उन्हें 1900 में गिरफ्तार कर लिया गया था और 9 जून 1900 को महज 24 साल की उम्र में रांची जेल में उनकी रहस्यमय तरीके से मृत्यु हो गई।
राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस का महत्व
भारत सरकार ने बिरसा मुंडा के जन्मदिन 15 नवंबर को ‘जनजाति गौरव दिवस’ के रूप में घोषित किया है।
यह दिवस आदिवासी समुदायों के महान स्वतंत्रता सेनानियों, नायकों और उनकी संस्कृति, इतिहास तथा उपलब्धियों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है।
इस पहल का उद्देश्य देश की स्वतंत्रता संग्राम और संस्कृति को समृद्ध बनाने में आदिवासी समुदायों के योगदान को मुख्यधारा में लाना और भावी पीढ़ियों को उनके बलिदान से परिचित कराना है।
मध्य प्रदेश सरकार द्वारा इस दिवस को चार राष्ट्रीय दिवसों (15 अगस्त, 26 जनवरी, 2 अक्टूबर, 14 अप्रैल) के समकक्ष दर्जा देना और इस दिन कैदियों को रिहा करना, आदिवासी समुदाय के प्रति सम्मान और उनके सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।
