भोपाल। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बुधवार को आदिवासी जीवन और समाज में सुधार लाने के उद्देश्य से नेशनल कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देश में सबसे अधिक आदिवासी समाज मध्यप्रदेश में निवास करता है और इस समाज के विकास में सामाजिक संस्थाओं की भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है।
सामाजिक संस्थाओं से आता है सुधार
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सरकारी योजनाओं और कार्यों में तब तक पूरा सुधार नहीं हो सकता जब तक सामाजिक संस्थाएं इसमें सक्रिय रूप से शामिल न हों। सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं के प्रयासों से सरकार को क्षेत्रीय कठिनाइयों और जरूरतों का पता चलता है, जिन्हें सुधारने का काम सरकारी संस्थान करते हैं।
उन्होंने कहा, आदिवासी समाज के लोग अपनी जीवनशैली और मस्ती भरे अंदाज से जीवन जीते हैं। उनकी जीवन शैली और सांस्कृतिक विविधता अद्भुत है। इस समाज के लिए किए जाने वाले सरकारी प्रयासों में सामाजिक संस्थाओं का सहयोग अनिवार्य है। मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी समाज को सम्मान देने के लिए उन्होंने जबलपुर में कैबिनेट बैठक की थी और कई अहम फैसले लिए हैं।
500 से अधिक विशेषज्ञों की भागीदारी
कॉन्क्लेव में देशभर से 500 से ज्यादा विषय विशेषज्ञ शामिल हैं। समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल मंगुभाई पटेल होंगे, जबकि जनजाति कार्य मंत्री डॉ. कुंवर विजय शाह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञ आदिवासी कल्याण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।
शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका पर विशेष चर्चा
कॉन्क्लेव में आदिवासी समाज की शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, वन अधिकार, शासन और प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर दिन भर मंथन होगा। इसमें शिक्षा और सशक्तिकरण में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका, वर्तमान शिक्षा स्तर और चुनौतियों पर विशेष चर्चा की जाएगी।
इसके अलावा, आदिवासी महिलाओं के स्वास्थ्य, पोषण, टीकाकरण, टेली-मेडिसिन और एम-हेल्थ जैसे आधुनिक हस्तक्षेपों से स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने में सामाजिक संस्थाओं की भूमिका पर विचार किया जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण पर जोर
कॉन्क्लेव में जनजातीय अर्थव्यवस्था, आजीविका के नए अवसर, युवाओं में उद्यमिता और स्व-सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण पर भी विचार होगा। वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं और आदिवासी समाज की भागीदारी को लेकर भी मंथन किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि आदिवासी अंचलों में सामाजिक संस्थाओं के प्रयासों से ही सरकारी योजनाओं में सुधार और विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने सभी विशेषज्ञों और संगठनों से अपील की कि वे अपने अनुभव और प्रयास साझा करें ताकि आदिवासी समाज के विकास में ठोस और सतत बदलाव लाया जा सके।
