जबलपुर। साक्षी एक ऐसी युवा लड़की जो अपने आईएएस बनने के सपने को लेकर घर से निकली अब उसे नए अवसर और मार्गदर्शन मिलने की उम्मीद है। साक्षी का परिवार जो बिहार से भोपाल के बजरिया में रह रहा था उसकी पढ़ाई को रोककर उसकी शादी करने का दबाव बना रहा था। लेकिन साक्षी ने अपने सपनों को छोड़ने के बजाय घर से निकलने का फैसला किया और इंदौर चली गई जहां उसने एक प्राइवेट नौकरी के साथ आईएएस की तैयारी शुरू कर दी। अपने इस फैसले को लेकर उसने घर पर एक नोट छोड़ा जिसमें लिखा था 2030 में आईएएस बन कर लौटूंगी।
साक्षी की यह यात्रा एक नई दिशा में मोड़ लेती है जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। हाई कोर्ट ने यह सुनिश्चित किया कि साक्षी की आगे की पढ़ाई बिहार के पटना में होगी और उसे इस दिशा में मार्गदर्शन देने के लिए बिहार कैडर की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वंदना प्रेयसी का समर्थन मिलेगा। वंदना प्रेयसी, जो कि बिहार सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट की सचिव हैं महिलाओं के उत्थान के लिए अपनी विशेष पहचान बना चुकी हैं। उनकी देखरेख में साक्षी को न केवल पढ़ाई की सुविधा मिलेगी बल्कि उसकी अन्य आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जाएगा।
साक्षी के घर से निकलने के बाद उसका परिवार परेशान था और उसे ढूंढने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। साक्षी की गुमशुदगी को लेकर उसके पिता ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की थी जिसके बाद पुलिस ने 10 महीने बाद इंदौर से साक्षी को बरामद किया। साक्षी ने अपनी गुमशुदगी के दौरान कोर्ट में यह बयान दिया था कि उसके पिता ने उसे पढ़ाई करने की बजाय शादी करने के लिए दबाव डाला था जिसके कारण वह घर से भाग गई और इंदौर में एक निजी कंपनी में काम करने लगी। वहीं उसने सिविल सर्विस की तैयारी भी जारी रखी।
जब साक्षी को इंदौर से बरामद किया गया, तो उसके पिता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वह अपनी बेटी को घर वापस भेजने का आदेश दें। लेकिन साक्षी ने अपने पिता के साथ जाने से इनकार किया और कहा कि वह अपने करियर को प्राथमिकता देती है। इस पर हाई कोर्ट ने निर्णय लिया कि साक्षी को कुछ दिनों तक अपने पिता के साथ रहने दिया जाए ताकि वह इस माहौल में अपने फैसले पर विचार कर सके।आखिरकार साक्षी ने अपने पिता के साथ रहने का निर्णय लिया और कोर्ट ने इस मामले को निपटा दिया।
अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि साक्षी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उसकी पढ़ाई और संरक्षण की उचित व्यवस्था की जाएगी। इस फैसले ने साक्षी के आईएएस बनने के सपने को एक नया मोड़ दिया और उसे एक मजबूत समर्थन मिला। साक्षी का यह निर्णय न केवल उसके जीवन की दिशा को बदलने वाला था बल्कि यह भी साबित करता है कि आत्मनिर्भरता और अपने सपनों के लिए संघर्ष करना कितना महत्वपूर्ण होता है। हाई कोर्ट का यह फैसला एक संकेत है कि यदि किसी को सही मार्गदर्शन मिले और उसे उचित अवसर मिले तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है और अपने सपनों को साकार कर सकता है। साक्षी की तरह लाखों युवाओं के लिए यह कहानी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
