इंदौर। शहर की ऊँची इमारतों की छतों और बालकनियों पर मंडराते कबूतरों का झुंड अब सिर्फ गंदगी या असुविधा का कारण नहीं रहा। खुले सार्वजनिक स्थलों पर उनके बढ़ते घोंसले इमारतों की दीवारों पर जमी बीट और उड़ते हुए पंखों की धूल इंदौर के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य संकट का रूप ले रही है। हाल के दिनों में शहर के अस्पतालों में फेफड़ों की कई गंभीर बीमारियों के मामले सामने आए हैं जिनका सीधा संबंध कबूतरों से बताया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार कबूतरों की बीट पंख और इनके घोंसलों में रहने वाली धूल में कई तरह के फंगस बैक्टीरिया और एलर्जेन पाए जाते हैं, जो इंसानों में गंभीर फेफड़ों की बीमारियों का कारण बनते हैं। इनमें हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस प्रमुख है जिसके मामलों में पिछले कुछ वर्षों में स्पष्ट वृद्धि दर्ज की गई है।
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल का अध्ययन चौंकाने वाला
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस का मुख्य कारण कबूतरों के पंखों में मौजूद एलर्जेन हैं। वहीं कबूतरों की बीट में पाया जाने वाला हिस्टोप्लास्मा नामक फंगस फेफड़ों को गहराई तक नुकसान पहुंचाता है। चिकित्सकों का कहना है कि लगातार संपर्क में रहने वालों में यह बीमारी धीरे धीरे जानलेवा स्तर तक पहुँच सकती है।
इंदौर में कबूतरों को दाना डालने की आदत बनी खतरा
शहर की कई सोसाइटीज और व्यावसायिक इमारतों में लोग नियमित रूप से कबूतरों के लिए दाना डालते हैं। इससे उनकी संख्या अनियंत्रित रूप से बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दाना डालने की यह परंपरा लोगों की अनभिज्ञता का परिणाम है। लोग समझते नहीं कि ऐसा करके वे अनजाने में अपने घरों को बीमारी का केन्द्र बना रहे हैं। मुंबई ने इसी समस्या को देखते हुए कबूतरों को खुले में दाना डालने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहाँ इस नियम का उल्लंघन करने पर जुर्माना भी लगाया जाता है। विशेषज्ञों का मत है कि इंदौर में भी इस दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है।
कबूतरों से फैलने वाली प्रमुख बीमारियाँ
हिस्टोप्लास्मोसिस, फेफड़ों में होने वाला खतरनाक फंगल संक्रमण। लक्षण सांस फूलना बुखार कमजोरी। क्रिप्टोकाक्कोसिस कबूतरों की बीट में मौजूद फंगस से फैलता है। लक्षण लगातार खांसी तेज बुखार छाती में दर्द वजन घटना कभी कभी खून वाली खांसी। सिटाकोसिस कबूतर सहित अन्य पक्षियों से फैलने वाला बैक्टीरियल संक्रमण। लक्षण बुखार फेफड़ों में सूजन सीने में संक्रमण। एलर्जिक एयरवे डिजीज कबूतरों की धूल और पंखों से एलर्जी। लक्षण अस्थमा जैसे लक्षण लंग डिजीज का खतरा। त्वचा रोग बीट और घोंसलों में पनपने वाले परजीवी और फंगस से। लक्षण खुजली जलन त्वचा पर पपड़ी।
मुंबई में बढ़ी पिजन लंग डिज़ीज के घटनाएं
मुंबई के अस्पतालों में कबूतरों से होने वाले एलर्जिक ब्रोंकाइटिस फंगल इंफेक्शन और लंग फाइब्रोसिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों ने इसे पिजन लंग डिज़ीज नाम दिया है। एक 42 वर्षीय महिला के मामले ने तो मेडिकल जगत को हिला दिया था लंबे समय से खांसी की शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि घर की खिड़कियों पर जमा कबूतरों की बीट से उन्हें हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस हो गया था जो जानलेवा स्थिति तक पहुँच गया।
अन्य पक्षियों के लिए भी खतरा
कबूतर सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी खतरा बनते जा रहे हैं। ये छोटे पक्षियों गौरैया बुलबुल मैनाके घोंसलों और भोजन पर कब्जा जमा लेते हैं। उनकी बीट में पाए जाने वाले फंगस और परजीवी अन्य पक्षियों को भी बीमार करते हैं जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ता है।
कैसे करें बचाव
बालकनी और खिड़कियों पर नेट लगाएं,घर की खिड़कियों या खुली जगहों पर दाना डालने से बचें ,सार्वजनिक भवनों पर एंटी पिजन स्पाइक्स लगाएं, घोंसलों और बीट की नियमित सफाई कराएं ,नगर निगम को पिजन कंट्रोल ड्राइव चलाने चाहिए लोगों को जागरूक करना सबसे महत्वपूर्ण कदम है विशेषज्ञों का कहना है कबूतर की पोटी अत्यंत एलर्जिक होती है। इससे इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज होती है और कई बार मरीज को लंग्स ट्रांसप्लांट तक की आवश्यकता पड़ जाती है। अगर लोग जागरूक हों तो इन बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है।
