भोपाल। राजधानी भोपाल की बहुप्रतीक्षित मेट्रो रेल परियोजना अब अपने अंतिम चरण में पहुँच गई है। लंबे इंतजार और कई तकनीकी चुनौतियों के बाद भोपालवासी जल्द ही मेट्रो में सफर का सपना साकार होते देख सकते हैं। यदि सब कुछ योजना के अनुसार रहा और कमिश्नर ऑफ मेट्रो रेल सेफ्टी CMRS की रिपोर्ट संतोषजनक आई, तो नवंबर के अंतिम सप्ताह तक मेट्रो संचालन औपचारिक रूप से शुरू हो सकता है।
अगले सप्ताह होगी अंतिम जांच
दिल्ली से आने वाली सीएमआरएस टीम अगले सप्ताह भोपाल पहुँचेगी। यह टीम मेट्रो की तीसरी और अंतिम सुरक्षा जांच करेगी। निरीक्षण के दौरान ट्रेन संचालन पटरियों की स्थिति सिग्नलिंग सिस्टम स्टेशन सुरक्षा आपातकालीन प्रोटोकॉल और यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े सभी मानकों की गहन समीक्षा की जाएगी।
यह निरीक्षण मेट्रो प्रबंधन के लिए निर्णायक साबित होगा, क्योंकि इसी रिपोर्ट के आधार पर ओके टू रन की मंजूरी दी जाएगी वही हरी झंडी जिससे भोपाल मेट्रो का संचालन आधिकारिक रूप से शुरू हो सकेगा।
पिछले निरीक्षण में मिली थीं खामियाँ
भोपाल मेट्रो का संचालन मूल रूप से अक्टूबर 2024 में शुरू होना था लेकिन पिछले निरीक्षण में सीएमआरएस टीम ने कई गंभीर खामियाँ उजागर की थीं। रिपोर्ट में स्टेशन परिसर में सुरक्षा उपकरणों की कमी प्रवेश और निकास बिंदुओं पर स्पष्ट दिशा-निर्देशों का अभाव और आपात स्थिति में निकासी व्यवस्था में कमियाँ दर्ज की गई थीं।
टीम ने सुधार के लिए सख्त निर्देश दिए थे और दोबारा जांच से पहले समयसीमा तय की थी। इन्हीं खामियों के कारण परियोजना अक्टूबर में शुरू नहीं हो सकी और प्रबंधन को आलोचना का सामना करना पड़ा।
सुधार के बाद तैयार हुआ प्रबंधन
पिछले निरीक्षण के बाद से मेट्रो प्रबंधन ने खामियों को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
सूत्रों के मुताबिक अब स्टेशन परिसरों में अत्याधुनिक CCTV कैमरे फायर अलार्म सिस्टम आपातकालीन निकासी मार्ग और स्वचालित सिग्नलिंग व्यवस्था स्थापित की गई है।
ट्रेन कंट्रोल रूम और स्टेशन मास्टर रूम के बीचरियल-टाइम कम्युनिकेशन सिस्टम भी जोड़ा गया है ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
मेट्रो परियोजना के प्रबंध निदेशक ने संक्षिप्त बयान में कहा सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। हम सभी मानकों पर खरे उतरने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
भोपाल मेट्रो वर्षों का इंतजार
भोपाल मेट्रो परियोजना की शुरुआत 2018 में हुई थी लेकिन तकनीकी प्रशासनिक और वित्तीय कारणों से इसकी गति कई बार धीमी पड़ी।
परियोजना का पहला चरण करोंद से भदभदा तक लगभग 31 किलोमीटर का है, जिसमें से पहले चरण में 7 किलोमीटर लंबा ट्रायल रूट तैयार किया गया है। इस रूट पर पाँच प्रमुख स्टेशन हैं सुभाष नगर रचना नगर आयकर भवन AIIMS और मांगेन टोला।
मेट्रो का डिपो नियंत्रण केंद्र और ट्रेन टेस्टिंग ट्रैकलगभग पूरा हो चुका है।
ट्रायल रन से मिले उत्साहजनक नतीजे
पिछले महीनों में हुए ट्रायल रन में ट्रेन की स्पीड ब्रेकिंग सिस्टम सिग्नलिंग और ऑटोमैटिक डोर सिस्टम की सफल जांच की गई। अधिकारियों के अनुसार मेट्रो ने बिना किसी तकनीकी बाधा के 80 किमी घंटा की अधिकतम गति हासिल की।
यात्रियों की सुविधा के लिए ट्रेन में एयर-कंडीशंड कोच स्मार्ट टिकटिंग सिस्टम और डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड जैसी आधुनिक सुविधाएँ दी गई हैं।
जनता में बढ़ी उम्मीदें
मेट्रो संचालन की खबर से भोपालवासियों में उत्साह और उम्मीदें बढ़ गई हैं। ट्रैफिक जाम और बढ़ते प्रदूषण से जूझ रहे शहर के लिए यह परियोजना सार्वजनिक परिवहन का नया अध्याय साबित हो सकती है। नागरिकों का मानना है कि मेट्रो शुरू होने से शहर के भीतर यात्रा का समय घटेगा और निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी।
अब निगाहें अंतिम रिपोर्ट पर
अब सबकी निगाहें अगले सप्ताह आने वाली सीएमआरएस रिपोर्ट पर टिकी हैं। अगर निरीक्षण में सभी सुरक्षा मानक पूरे मिले, तो नवंबर के अंतिम सप्ताह में भोपाल मेट्रो को ओके टू रन प्रमाणपत्र मिल जाएगा।
हालांकि यदि किसी बिंदु पर खामी पाई गई, तो संचालन में कुछ और हफ्तों की देरी संभव है।
एक ऐतिहासिक कदम की ओर
भोपाल मेट्रो सिर्फ एक परिवहन परियोजना नहीं, बल्कि यह शहर के आधुनिक विकास का प्रतीक है। वर्षों की प्रतीक्षा और चुनौतियों के बाद अब राजधानी मेट्रो सिटी बनने के मुहाने पर खड़ी है।
अगले सप्ताह होने वाली अंतिम परीक्षा यह तय करेगी कि क्या भोपालवासी नवंबर के अंत तक मेट्रो में सफर करने का सपना सच होता देख पाएंगे या उन्हें अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा।
