नई दिल्ली। कार्तिक शुक्ल नवमी को अक्षय नवमी या आंवला नवमी मनाई जाती है। यह दिन दान, व्रत और पूजा के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए कर्मों का फल कभी समाप्त नहीं होता (अक्षय रहता है)।
अक्षय नवमी का महत्व (आंवला नवमी)
तिथि कार्तिक शुक्ल नवमी।
अक्षय का अर्थ जो नष्ट न हो; इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का फल कभी समाप्त नहीं होता।
आंवला नवमी भगवान विष्णु आंवले के वृक्ष में निवास करते हैं। इस दिन आंवले की पूजा कर विष्णु और लक्ष्मी की आराधना की जाती है।
लाभ सौभाग्य, समृद्धि और स्थायी सुख की प्राप्ति होती है।
ऐतिहासिक महत्व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन सतयुग का आरंभ हुआ था, इसलिए इसे सत्य और धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है।
अक्षय नवमी पर इन चीज़ों का करें दान
स्कंद पुराण और पद्म पुराण के अनुसार, अक्षय नवमी पर किया गया दान कई जन्मों तक अक्षय फल प्रदान करता है। आंवले की पूजा के साथ-साथ इन वस्तुओं का दान अत्यंत शुभ माना गया हैइस दिन गोसेवा और गौदान को विशेष पुण्यदायी बताया गया है।जरूरतमंदों को अन्न (भोजन) कराना बहुत शुभ फलदायक होता है।गरीबों और जरूरतमंदों को वस्त्रों का दान करना पुण्य की प्राप्ति कराता है।यदि सामर्थ्य हो तो सोने का दान करना अत्यंत शुभ माना गया है।इस दिन तुलसी पूजन करना और उससे जुड़े दान करना भी पुण्यदायी होता है।
व्रत, पूजा और अक्षय पुण्य
स्त्रियां इस दिन अपने परिवार की सुख-शांति और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।
इस दिन स्नान (विशेष रूप से गंगा स्नान), दान और पूजन का विशेष महत्व है।
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भक्त विशेष रूप से आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना करते हैं।
पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना अत्यंत शुभ होता है, जिससे घर में सौभाग्य, समृद्धि और पारिवारिक सौहार्द स्थायी रूप से बना रहता है।
