नई दिल्ली। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को इस साल 15 नवंबर, शनिवार को उत्पन्ना एकादशी 2025 मनाई जाएगी। धर्मशास्त्रों में इसे सभी एकादशियों की जननी कहा गया है, क्योंकि इसी दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। मान्यता है कि देवी ने दैत्य मुरासुर का वध कर जगत में धर्म और शांति की स्थापना की थी। इस पावन व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से जीवन में पाप नष्ट होते हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है।
उत्पन्ना एकादशी 2025 की तिथि और पारण समय
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व्रत तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर 2025, रात्रि 12:49 बजे
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व्रत तिथि समाप्त: 16 नवंबर 2025, सुबह 2:37 बजे
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पारण का शुभ मुहूर्त: 16 नवंबर 2025, दोपहर 1:10 बजे से 3:18 बजे तक
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
धर्मग्रंथों के अनुसार, जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में लीन थे, तभी दैत्य मुरासुर ने देवताओं पर अत्याचार बढ़ा दिए। तब विष्णु भगवान के शरीर से दिव्य तेज प्रकट हुआ, जो थीं देवी एकादशी। देवी ने मुरासुर का वध कर धर्म की रक्षा की। इसलिए इसे सभी एकादशियों की जननी कहा गया है। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं, मन को शांति मिलती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
पूजा विधि
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प्रातः काल स्नान करके पीले या साफ वस्त्र धारण करें।
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घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
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लाल गुलाब के फूल, मखाने की खीर, इत्र, तुलसीदल और पीले पुष्प अर्पित करें।
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भगवान विष्णु के समक्ष “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
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इसके बाद माता लक्ष्मी का विशेष पूजन करें और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
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अंत में आरती कर परिवारजनों में प्रसाद बांटें।
देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के उपाय
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लाल गुलाब, इत्र और मखाने की खीर अर्पित करें।
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रात्रि में दीपदान करते हुए “श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें।
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पूजा के बाद लक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से धन-संपत्ति की रुकावटें दूर होती हैं और घर में अखंड लक्ष्मी का वास होता है।
लक्ष्मी चालीसा का महत्व
इस दिन लक्ष्मी चालीसा का पाठ करना विशेष शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे सच्चे मन से पढ़ता है, उसकी दरिद्रता दूर होती है, धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-शांति आती है। पूरे पाठ के दौरान दीपक प्रज्वलित रखें और अंत में माता की आरती अवश्य करें।
व्रत का फल
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पाप नष्ट होकर व्यक्ति को मोक्ष मार्ग की प्राप्ति होती है।
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घर में धन-धान्य की वृद्धि होती है।
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जीवन में सफलता, शांति और सौभाग्य का संचार होता है।
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विशेष रूप से जिनके जीवन में आर्थिक रुकावटें हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत शुभ है।
ध्यान रखने योग्य बातें
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व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
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क्रोध, झूठ और निंदा से दूर रहें।
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व्रत के अगले दिन पारण के समय भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत समाप्त करें।
उत्पन्ना एकादशी 2025 न केवल पापों का नाश करने वाली तिथि है, बल्कि यह धन-संपत्ति, सुख-शांति और सौभाग्य प्रदान करने वाली तिथि भी मानी गई है। यदि इस दिन श्रद्धा से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाए, तो जीवन की सभी कठिनाइयां सरल हो जाती हैं और घर में स्थायी समृद्धि का वास होता है।
