नई दिल्ली । भारत और साउथ अफ्रीका के बीच कोलकाता के ईडन गार्डन्स स्टेडियम में खेले गए पहले टेस्ट मुकाबले में टीम इंडिया को 30 रन से हार का सामना करना पड़ा। यह हार भारतीय टीम के लिए चौंकाने वाली रही खासकर तब जब हाल ही में वेस्टइंडीज को दो मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत ने आसानी से हराया था। इस हार ने सवाल खड़े कर दिए कि क्या टीम अपनी रणनीति और पिच चयन में सही दिशा में जा रही है।
कोलकाता टेस्ट में पिच को लेकर विवाद भी गर्मा गया। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के चेयरमैन और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने मैच से पहले कहा था कि पिच अच्छी होगी और गेंद और बल्ले के बीच संतुलित मुकाबला देखने को मिलेगा। हालांकि पेसर्स को मदद तो मिली लेकिन स्पिनरों ने भारतीय बल्लेबाजों को अधिक परेशान किया। भारतीय टीम ने खुद को स्पिन ट्रैक के जाल में फंसा पाया जिसका खामियाजा उन्हें हार के रूप में भुगतना पड़ा।
टीम इंडिया के हेड कोच गौतम गंभीर के निर्देश पर पिच को स्पिन फ्रेंडली बनवाया गया था। लेकिन यह रणनीति भारत के लिए एक तरह का जाल साबित हुई। पिछले छह मैचों में चार बार ऐसी स्पिन फ्रेंडली पिचों ने भारत को मुश्किल में डाल दिया है। न्यूजीलैंड और अब साउथ अफ्रीका के खिलाफ इसी तरह के ट्रैक ने भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी उजागर की।
विशेषज्ञ और फैंस सवाल उठा रहे हैं कि जब आपके पास जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज जैसे पेसर हैं तो क्या पिच तैयार करने का यही सही तरीका है बेंच पर आकाश दीप जैसे खिलाड़ी मौजूद हैं लेकिन स्पिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए चयन में बदलाव नहीं किया गया। पिच ऐसी होनी चाहिए थी जिस पर गेंद और बल्ले की लड़ाई देखने को मिले और भारतीय टीम की ताकत पूरी तरह सामने आ सके।
विशेष रूप से वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के दृष्टिकोण से यह चिंता का विषय है। इंग्लैंड में होने वाले फाइनल में स्पिन फ्रेंडली विकेट पर जीत हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसे में पिच चयन और रणनीति में सुधार जरूरी है ताकि टीम केवल फाइनल में पहुंचने तक सीमित न रहे बल्कि उसे जीतने के लिए तैयार किया जा सके इस हार ने यह संदेश दिया है कि टीम इंडिया को पिच चयन और रणनीति के हर पहलू पर गंभीरता से विचार करना होगा नहीं तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के बड़े मुकाबलों में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
