क्रिकेट को ‘जेंटलमैन गेम’ कहा जाता है, लेकिन जब बात अंपायरिंग की होती है, तो यही खेल कई बार विवादों में घिर जाता है। मैदान पर अंपायर का निर्णय सर्वोच्च होता है — वही खेल के नियमों का अंतिम निर्णायक होता है, ठीक वैसे ही जैसे अदालत में जज। लेकिन इंसान होने के नाते अंपायरों से भी गलतियाँ होती हैं, और कई बार इन गलतियों ने मैच का रुख ही बदल दिया है।
पूर्व कॉमेंटेटर विनीत गर्ग ने एक पॉडकास्ट में भारतीय क्रिकेट से जुड़ी कुछ चौंकाने वाली बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि पुराने दौर में भारत को सिर्फ विरोधी टीम से नहीं, बल्कि अंपायरिंग की गलतियों से भी जूझना पड़ता था। उन्होंने पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर का हवाला देते हुए कहा – “कई बार भारत को 11 नहीं, बल्कि 13 खिलाड़ियों के खिलाफ खेलना पड़ता था।”
सिडनी टेस्ट बना खराब अंपायरिंग का प्रतीक
साल 2008 का सिडनी टेस्ट आज भी क्रिकेट इतिहास में सबसे विवादित मैचों में गिना जाता है। उस मैच में भारत को कई गलत फैसलों का सामना करना पड़ा। हालांकि यह सिलसिला नया नहीं था — 70 और 80 के दशक से भारतीय टीम अंपायरिंग के पक्षपात का शिकार रही है।
विनीत गर्ग ने 2005-06 के वेस्टइंडीज दौरे का जिक्र करते हुए बताया कि उस समय अनिल कुंबले को पूरे दिन एक भी एलबीडब्ल्यू नहीं मिला। कप्तान राहुल द्रविड़ ने हालांकि अंपायर ब्रायन यार्लिंग का बचाव किया, लेकिन टीम के लिए ये फैसले बेहद निराशाजनक थे। गर्ग ने खुलासा किया कि “नए अंपायरों को अक्सर भारत के मैचों में आजमाया जाता था, और उनकी गलतियों का खामियाज़ा टीम इंडिया को भुगतना पड़ता था।”
ब्रायन लारा और धोनी की घटना बनी चर्चा का विषय
वेस्टइंडीज के एंटीगा टेस्ट में एमएस धोनी का एक विवादित आउट आज भी याद किया जाता है। धोनी ने लगातार तीन छक्के लगाए थे और चौथा शॉट बॉउंड्री पर पकड़ा गया, लेकिन कैच क्लीन था या नहीं, यह साफ नहीं था। टीवी रीप्ले के बाद भी अंपायर निर्णय नहीं ले सके, पर वेस्टइंडीज कप्तान ब्रायन लारा के दबाव में धोनी को आउट करार दिया गया।
डेविड शेफर्ड का खुलासा और IPL का प्रभाव
विनीत गर्ग ने यह भी बताया कि 2003-04 में पाकिस्तान दौरे पर मशहूर अंपायर डेविड शेफर्ड ने मज़ाक में कहा था कि “भारत के खिलाफ फैसला देने से अगले असाइनमेंट की गारंटी बढ़ जाती है।” यह बात भले ही हल्के अंदाज में कही गई हो, लेकिन यह उस दौर की मानसिकता को दर्शाती है।
गर्ग के मुताबिक, IPL के आने के बाद अंपायरिंग का नजरिया पूरी तरह बदल गया। अब अंपायर जानते हैं कि भारत के खिलाफ पक्षपात करने पर वे आईपीएल जैसे बड़े मंच से वंचित हो सकते हैं। यही कारण है कि अब भारतीय टीम के प्रति व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन दिख रहा है।
विनीत गर्ग ने कहा – “एक कॉमेंटेटर का काम निष्पक्ष रहना है, लेकिन जब बात अपने देश के साथ अन्याय की हो, तो सच बोलना ज़रूरी हो जाता है।”
