नई दिल्ली । टी20 एशिया कप 2025 के दौरान मैच रेफरी को लेकर मचे विवाद के बीच, आईसीसी के पूर्व मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने भारतीय क्रिकेट टीम को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। ब्रॉड ने दावा किया है कि उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें एक बार भारत को ओवर-रेट के जुर्माने से बचाने के लिए ‘नरमी बरतने’ का दबाव बनाया गया था। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि इस दबाव के पीछे कौन था, लेकिन हिंट दिया कि यह जानकारी तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली को भी थी।
क्रिस ब्रॉड का खुलासा
ब्रॉड ने द टेलीग्राफ को बताया कि यह घटना किस मैच में हुई और किसने उनसे ऐसा करने के लिए कहा, इसका विवरण उन्होंने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि एक मैच में भारत निर्धारित ओवर-रेट से पीछे था और उन्हें फोन आया। ब्रॉड ने कहा, “भारत मैच के अंत में तीन-चार ओवर पीछे था, इसलिए यह जुर्माना बनता था। मुझे फोन आया और कहा गया, ‘ढील बरतो, थोड़ा समय निकालो, क्योंकि यह भारत है।’ मैंने कहा, ठीक है। इसलिए हमें थोड़ा समय निकालना पड़ा और ओवर-रेट को निर्धारित सीमा से नीचे लाया गया।”
उन्होंने आगे बताया कि अगले मैच में भी ऐसी ही स्थिति दोहराई गई। ब्रॉड ने कहा, “उन्होंने (सौरव गांगुली) मेरी कोई भी बात जल्दी ओवर करने के लिए नहीं सुनी, तो मैंने फोन करके पूछा, ‘अब आप मुझसे क्या करवाना चाहते हैं?’ और मुझे कहा गया, ‘बस उनके साथ ही करो।’”
क्रिस ब्रॉड का अनुभव और करियर
क्रिस ब्रॉड ने फरवरी 2024 तक आईसीसी मैच रेफरी के तौर पर काम किया और इस दौरान उन्होंने 123 टेस्ट मैच, 361 वनडे और 138 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में रेफरी की भूमिका निभाई। वह मैच रेफरी के रूप में काम करते रहने के लिए खुश थे, लेकिन आईसीसी ने उनके अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया।
कौन हैं क्रिस ब्रॉड
ब्रॉड क्रिकेट जगत में लंबे समय तक मैच रेफरी के रूप में जाने जाते रहे हैं। उनका करियर 2003 से शुरू हुआ और उन्होंने कई बड़े अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में निष्पक्षता बनाए रखने का काम किया। उनका यह खुलासा भारतीय क्रिकेट समुदाय और आईसीसी के नियमों के पालन पर सवाल उठाता है।
परिणाम और विवाद
ब्रॉड के इस बयान के बाद भारतीय टीम और तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली के खिलाफ भी सवाल उठ सकते हैं। यह मामला क्रिकेट प्रशासकों, आईसीसी और भारतीय क्रिकेट फैंस के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
पूर्व मैच रेफरी के इस खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कभी-कभी टीमों को ओवर-रेट और नियमों के पालन में छूट देने का दबाव बनता रहा है, जो खेल की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़े करता है।
