नई दिल्ली । दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब विवादों में फंस गया है। तकनीक कंपनियां इसे उत्पादकता बढ़ाने और कार्यों को आसान बनाने के लिए अपना रही हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसके संभावित सामाजिक और नैतिक प्रभावों को लेकर चेतावनी दे रहे हैं। इसी बीच, टेक दिग्गज गूगल पर अपने एडवांस्ड एआई असिस्टेंट “जेमिनी” के जरिए यूजर्स की निजी जानकारी ट्रैक करने का गंभीर आरोप लगा है।
कैलिफोर्निया के सैन जोस फेडरल कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया है कि गूगल ने जेमिनी के माध्यम से Gmail, चैट और Google Meet जैसे प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स के निजी कम्युनिकेशन डेटा को गुप्त रूप से ट्रैक किया। आरोप है कि यह कार्रवाई डेटा गोपनीयता और यूजर सुरक्षा के सवाल खड़े करती है।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, शुरुआत में यूजर्स को जेमिनी को “टर्न ऑन” करने का विकल्प दिया जाता था, लेकिन अक्टूबर 2025 से Alphabet Inc. ने इसे सभी प्लेटफॉर्म्स पर डिफॉल्ट रूप से सक्रिय कर दिया। इसका मतलब है कि यूजर्स की अनुमति के बिना ही उनके ईमेल, अटैचमेंट्स और चैट डेटा तक जेमिनी को पहुंच मिली।
याचिका में यह भी बताया गया है कि जेमिनी को “टर्न ऑफ” करने का विकल्प मौजूद है, लेकिन इसे प्राइवेसी सेटिंग्स में इतनी गहराई में छिपाया गया है कि सामान्य यूजर के लिए इसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है। जब तक यूजर मैन्युअली इसे डिएक्टिवेट नहीं करता, गूगल को उसके सभी संवादों तक एक्सेस बना रहता है।
अदालत में दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि गूगल ने 1967 के “California Invasion of Privacy Act” का उल्लंघन किया है। यह कानून किसी भी पक्ष की सहमति के बिना निजी संवाद की रिकॉर्डिंग या एक्सेस को प्रतिबंधित करता है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से राहत की मांग की है और मामले में गूगल को नोटिस जारी किया गया है।
गूगल का जेमिनी एआई असिस्टेंट चैटिंग, ईमेल कम्पोज़िंग, मीटिंग समरी और डेटा विश्लेषण जैसे काम करता है। कंपनी इसे यूजर्स की सुविधा के लिए पेश करती है, लेकिन अब इसके खिलाफ प्राइवेसी उल्लंघन के गंभीर आरोप लग चुके हैं। टेक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह आरोप सही पाए गए, तो यह गूगल की साख को बड़ा झटका देगा और एआई डेटा प्राइवेसी पर वैश्विक बहस को नया मोड़ दे सकता है।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि जहां एक ओर AI इंसानों का काम आसान बना रहा है, वहीं दूसरी ओर यूजर्स की निजी जानकारी की सुरक्षा लगातार चुनौतीपूर्ण होती जा रही है। उनका कहना है कि तकनीक में तेजी से विकास के साथ नियम और कानूनों को अपडेट करना अनिवार्य हो गया है।
कोर्ट का फैसला इस मामले की दिशा तय करेगा और आने वाले समय में एआई और डेटा सुरक्षा पर वैश्विक नीतियों को भी प्रभावित कर सकता है। फिलहाल, गूगल मामले में अपने पक्ष की सफाई दे रहा है और regulators की निगरानी में यह मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है।
