नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही देशभर के सात राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों का रुझान सामने आ गया है। इन उपचुनावों ने राजनीतिक समीकरणों को नई दिशा दी है। राजस्थान और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत ने पार्टी को बड़ी राहत दी है, वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी ने अपनी सीट बचाकर संगठन को आत्मविश्वास दिया। कई राज्यों में कांटे की टक्कर देखने को मिली, तो कुछ सीटों पर बड़े अंतर से जीत ने साफ राजनीतिक संदेश भी भेजा।
राजस्थान में कांग्रेस की जोरदार वापसी
राजस्थान की अंता (बारां) सीट इस उपचुनाव की सबसे बड़ी चर्चाओं में रही। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमोद जैन ‘भाया’ ने भाजपा के मोरपाल सुमन को 15,612 वोटों के अंतर से हराया। यह जीत इसलिए अहम है क्योंकि यह सीट पहले भाजपा के कब्जे में थी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह परिणाम राज्य में कांग्रेस की पकड़ मजबूत होने का संकेत देता है और आगामी चुनावों के लिए पार्टी के लिए मनोबल बढ़ाने वाला है।
तेलंगाना में कांग्रेस ने दिखाई ताकत
तेलंगाना की जुबली हिल्स सीट पर कांग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी। पार्टी उम्मीदवार नवीन यादव ने मगंती सुनीता गोपीनाथ को 24,729 वोटों के भारी अंतर से हराया। यह जीत खास इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीट पहले बीआरएस के नियंत्रण में थी। प्रदेश में राजनीतिक बदलावों के बीच कांग्रेस की यह सफलता संगठन को नई ऊर्जा दे रही है।
पंजाब में AAP को मिली राहत
पंजाब की तरनतारन सीट पर आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी। हरमीत सिंह संधू ने अकाली दल की सुखविंदर कौर को 12,091 वोटों के अंतर से हराकर सीट अपने पास रखी। यह जीत भगवंत मान सरकार के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाली है और राज्य में पार्टी की नीतियों पर जनता के भरोसे का संकेत देती है।
पूर्वोत्तर और जम्मू-कश्मीर के नतीजे
पूर्वोत्तर में मिजोरम की डंपा सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के डॉ. आर. ललथंगलियाना ने वी. अनलालसैलोवा को सिर्फ 562 वोटों के अंतर से हराया। यह परिणाम क्षेत्रीय दलों की मजबूत पकड़ को दर्शाता है।
जम्मू-कश्मीर की नागरोटा सीट पर भाजपा की देवयानी राणा ने जीत दर्ज की। घाटी और जम्मू क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं, ऐसे में यह जीत भाजपा के लिए काफी मायने रखती है।
