नई दिल्ली । हर पेरेंट्स की चाहत होती है कि उनके बच्चे का माइंड शार्प हो। इसके लिए पेरेंट्स भरपूर प्रयास भी करते हैं। लेकिन इसके लिए हमेशा कड़ी मेहनत या महंगे क्लासेज की जरूरत नहीं होती। पेरेंटिंग एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर पेरेंट्स अपनी डेली रूटीन में कुछ छोटी-छोटी बातों को अपनाएं, तो उनके बच्चे का दिमाग तीन गुना तक बढ़ सकता है।
इन बातों से ना केवल बच्चे के सोचने और समझने की शक्ति बढ़ती है, बल्कि इससे बच्चे कांफिडेंट और हैप्पी माइंड के भी बनते हैं। जब बच्चे अपने माता-पिता से जुड़ाव महसूस करते हैं, तो उनका मानसिक और भावनात्मक विकास बहुत संतुलित तरीके से होता है। चलिए जानते हैं वो कौन सी आदतें हैं जिन्हें अपनाकर अपने बच्चे के माइंड को शार्प बना सकते हैं।
कहानी सुनाना
रात को सोते समय बच्चों को कहानी सुनाना सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक जादुई तरीका है उनके दिमाग को मजबूत बनाने का। एक्सपर्ट कहते हैं कि जब बच्चा कहानी सुनता है, तो उसकी इमेजिनेशन पावर और थिंकिंग कैपेसिटी कई गुना बढ़ जाती है। इससे वो अपने मन में नए-नए चित्र और विचार बनाता है, जिससे उसका क्रिएटिव माइंड तेजी से विकसित होता है। यह आदत बच्चों को कल्पनाशील, आत्मविश्वासी और समझदार बनाती है।
मोबाइल छोड़कर बच्चों से बात करना
आज के समय में जब मोबाइल हर किसी के हाथ में है, तो कई बार पेरेंट्स बच्चों की बातों को इग्नोर करके मोबाइल में हो लगे रहते हैं। पेरेंटिंग एक्सपर्ट कहते हैं कि बच्चे के माइंड को तेज बनाने के लिए पेरेंट्स को चाहिए कि वो मोबाइल को अलग रख के बच्चे से बात करें। जब माता-पिता मोबाइल को एक तरफ रखकर बच्चे की बातें ध्यान से सुनते हैं, तो बच्चे को यह महसूस होता है कि वे उनके लिए बहुत खास हैं। इससे बच्चे के अंदर सुरक्षा और अपनापन का भाव बढ़ता है। वो खुलकर अपनी बात कहने लगता है और पेरेंट्स पर उसका भरोसा गहरा होता है।
बच्चों के साथ दिमागी खेल खेलना
बच्चों के साथ पजल, सुडोकू या मेमोरी कार्ड जैसे खेल खेलना दिमाग को एक्टिव और तेज बनाने का बहुत अच्छा तरीका है। इन खेलों से बच्चे की सोचने की क्षमता, ध्यान और याददाश्त मजबूत होती है। जब पेरेंट्स बच्चों के साथ ऐसे गेम खेलते हैं, तो ना सिर्फ उनका ब्रेन डेवलेपमेंट अच्छा होता है, बल्कि बच्चा खुद को ज्यादा एनर्जेटिक महसूस करता है। इसके साथ अगर आप बच्चों को रोज बाहर खेलने के लिए ले जाएं जैसे, पार्क या प्लेग्राउंड में और बिना मोबाइल के 30-40 मिनट उनके साथ खेलें, तो इससे आपकी और बच्चे की बॉन्डिंग बहुत मजबूत बनती है।
पॉजिटिव शब्द बोलना
बच्चे के साथ बात करते समय अगर आप प्यार भरे और पॉजिटिव शब्दों का इस्तेमाल करते हैं, तो उसका असर सीधे उसके दिमाग और दिल पर होता है। जब बच्चा ‘आई लव यू माय बेबी’ या ‘आई एम प्राउड ऑफ यू’ जैसे शब्द सुनता है, तो उसके दिमाग में ऑक्सीटोसिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है, जिसे ‘हैप्पी हार्मोन’ कहा जाता है। इससे बच्चा खुश रहता है, सुरक्षित महसूस करता है और अपने माता-पिता पर गहरा भरोसा करता है। पेरेंट्स और बच्चे के बीच का रिश्ता जितना मजबूत होगा, बच्चे का मानसिक विकास उतना ही अच्छा होगा।
