नई दिल्ली । भारतीय IT प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका जाने का सपना अब और मुश्किल हो सकता है। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनियों में से एक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS), ने एक ऐसा बड़ा और चौंकाने वाला फैसला लिया है, जो इस इंडस्ट्री में एक नए दौर की शुरुआत कर सकता है।
TCS ने घोषणा की है कि वह इस साल H-1B वीज़ा पर किसी भी नए कर्मचारी की भर्ती नहीं करेगी। यह एक बहुत बड़ा बदलाव है क्योंकि TCS जैसी भारतीय आईटी कंपनियां दशकों से अमेरिका में काम करने के लिए भारतीय टैलेंट को H-1B वीज़ा पर भेजती रही हैं।
तो अब TCS क्या करेगी: कंपनी ने अपनी रणनीति पूरी तरह से बदल दी है। अब वीज़ा पर भारत से कर्मचारी ले जाने के बजाय, TCS का पूरा ध्यान दो चीज़ों पर होगा।
कंपनी के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर, मिलिंद लक्कड़ ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि TCS के पास अमेरिका में पहले से ही एक बहुत बड़ी और टैलेंटेड टीम है और अब कंपनी उन्हें ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई टेक्नोलॉजी में ट्रेनिंग देकर भविष्य के लिए तैयार कर रही है।
सीधे शब्दों में कहें तो, TCS का यह फैसला साफ़ संकेत दे रहा है कि अब भारतीय आईटी कंपनियों का फोकस बदल रहा है। वे अब अमेरिका के नियमों और बाज़ार के हिसाब से खुद को ढाल रही हैं, जहाँ स्थानीय लोगों को नौकरी देने और AI जैसी नई टेक्नोलॉजी पर काम करने को ज़्यादा अहमियत दी जा रही है।
