अहमदाबाद। हाल ही में हुए Filmfare Awards 2025 को लेकर फिल्ममेकर सुदीप्तो सेन ने तीखा हमला बोला है। ‘द केरल स्टोरी’ के निर्देशक सुदीप्तो ने कहा है कि अब यह अवॉर्ड शो सिनेमा का सम्मान नहीं बल्कि तमाशा बन चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस बार के अवॉर्ड्स में ऐसी फिल्में सम्मानित की गईं जो या तो कॉपी (plagiarised) हैं या बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रहीं।
क्या बोले सुदीप्तो सेन?
सुदीप्तो सेन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लंबा नोट साझा करते हुए लिखा,इस साल का भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा एक्सपोज़ है। एक खुल्लमखुल्ला चोरी की गई फिल्म, एक ऐसी फिल्म जो हिंसा की ट्यूटोरियल है, और एक ऐसी फिल्म जो 72 घंटे भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं टिक पाई, उसने ज्यादातर अवॉर्ड्स जीत लिए। जैसा उम्मीद थी, 2024 के बेहतरीन काम को फिर अनदेखा कर दिया गया।उन्होंने आगे कहा, हमें खुशी है कि हमें इस झूठे सिनेमा के तमाशे का हिस्सा नहीं बनना पड़ा। हमें झूठी मुस्कानें और दिखावटी दोस्ती नहीं निभानी पड़ी। मुंबई में इस तमाशे का हिस्सा बनकर सेल्फी लेने से बेहतर है कि हम इससे दूर रहें।
किस फिल्म को लेकर भड़के सुदीप्तो सेन?
हालांकि सुदीप्तो ने अपने पोस्ट में किसी फिल्म का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन उनके इशारे साफ हैं।
Blatantly plagiarised film यानी चोरी की फिल्म Laapataa Ladies
‘Tutorial of brutality’ यानी हिंसा सिखाने वाली फिल्म Kill
‘Did not survive box office for 72 hours’ यानी फ्लॉप फिल्म I Want To Talk
गौरतलब है कि इस साल अहमदाबाद में आयोजित Filmfare Awards 2025 में Laapataa Ladies ने Best Film सहित 12 अवॉर्ड्स अपने नाम किए। वहीं अभिषेक बच्चन और कार्तिक आर्यन को Best Actor और आलिया भट्ट को Best Actress का अवॉर्ड मिला।
‘द केरल स्टोरी’ को मिला था नेशनल अवॉर्ड
बीते महीने सुदीप्तो सेन को ‘द केरल स्टोरी’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक (Best Director) का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ छायांकन (Best Cinematography) का सम्मान भी प्राप्त हुआ था।द केरल स्टोरी एक ऐसी कहानी है जो केरल की उन युवतियों की दर्दनाक सच्चाई दिखाती है, जिन्हें धर्मांतरण कर ISIS में शामिल होने पर मजबूर किया गया था।
सेन का तंज -ग्लैमर से मोहित मीडिया का सिनेमा से कोई लेना-देना नहीं
सुदीप्तो सेन ने अपने पोस्ट के कैप्शन में लिखा, मुझे भारतीय सिनेमा संस्थानों या मीडिया से कोई उम्मीद नहीं है। यह सब ग्लैमर और स्टार्स की दुनिया में खोए रहते हैं, जैसे छोटे शहरों के लोग अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान के घर के बाहर इकट्ठा होते हैं। इनका सिनेमा या कला में शून्य योगदान है।सुदीप्तो सेन के इस बयान के बाद फिल्म जगत में नई बहस छिड़ गई है। उन्होंने जो सवाल उठाए हैं, वे सीधे तौर पर अवार्ड शो की पारदर्शिता और सिनेमा के वास्तविक सम्मान पर प्रहार करते हैं।
