नई दिल्ली । हरियाणा में आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की असामयिक मौत के मामले ने राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को गरमाकर रख दिया है। इस घटना के बाद राज्य में नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी भी इस मामले में सक्रिय हो गए हैं और आज दिवंगत अधिकारी की पत्नी एवं परिवार से मुलाकात करेंगे। इससे मामले पर राजनीतिक और सामाजिक ध्यान और अधिक केंद्रित होने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 अक्टूबर को सोनीपत में होने वाली रैली रद्द कर दी है। यह रैली नायब सिंह सैनी सरकार के एक साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित की जानी थी। हरियाणा में यह पहली बार है जब सरकार को किसी विवादित मुद्दे पर व्यापक चिंता का सामना करना पड़ा। हालांकि, नेतृत्व अभी भी सरकार के साथ खड़ा है।
पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने खुद मामले की कमान संभाली है। उन्होंने अधिकारियों को आईपीएस पूरन कुमार के परिवार से पोस्टमार्टम और आगे की प्रक्रिया के लिए बातचीत करने का जिम्मा दिया है। आईपीएस की पत्नी पी. अमनीत कुमार ने मंत्री और अधिकारियों से सीधे बात करने से इंकार कर दिया था। वह खुद आईएएस अधिकारी हैं और जापान से लौटकर परिवार के पास आई थीं।
परिवार की मांग पर डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को छुट्टी पर भेजा गया और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजारनिया का ट्रांसफर कर दिया गया। अब परिवार को मनाने के प्रयास तेज हो गए हैं। मनोहर लाल खट्टर के मीडिया सलाहकार सुदेश कटारिया और अन्य वरिष्ठ अधिकारी लगातार परिवार से संपर्क में हैं। कटारिया ने आईएएस अमनीत कुमार से लगभग एक घंटे तक बातचीत की और उन्हें मनाने की कोशिश की।
सूत्रों के अनुसार, पूरन कुमार के सुसाइड नोट में सुझाव दिया गया था कि गृह सचिव मामले की पूरी जांच दोबारा करें और तब तक किसी कार्रवाई को स्थगित रखा जाए। इस बीच हरियाणा के मंत्री राब नरबीर सिंह और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले भी परिवार से मिल चुके हैं।
पूरे मामले ने राज्य में प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर सन्नाटा तोड़ते हुए जांच और पारदर्शिता की मांग को और मजबूत कर दिया है। अधिकारी और नेता लगातार प्रयास कर रहे हैं कि परिवार को न्याय की प्रक्रिया और मामले की गंभीरता के प्रति भरोसा दिलाया जाए।
