नई दिल्ली। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई रविवार को अपने गृह राज्य महाराष्ट्र के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने रत्नागिरी जिले के मंदनगढ़ तालुका में नए सिविल और आपराधिक न्यायालय भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तालमेल ही न्यायिक प्रणाली को मजबूत कर सकता है और हर वर्ग तक न्याय पहुँचाने का माध्यम बन सकता है।
सभा को संबोधित करते हुए जस्टिस गवई ने कहा,
“मंदनगढ़ न्यायालय भवन का उद्घाटन करना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। पिछले 22 वर्षों में मैंने हमेशा न्याय के विकेंद्रीकरण और न्यायिक ढांचे को सशक्त करने की दिशा में काम किया है।”
उन्होंने बताया कि मंदनगढ़ तालुका का विशेष महत्व है क्योंकि यह डॉ. भीमराव आंबेडकर के पैतृक गाँव अंबाडवे के पास स्थित है। इस न्यायालय की स्थापना, समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाने और कानून के शासन को कायम रखने के बाबा साहेब के मिशन को आगे बढ़ाने वाली पहल है।
जस्टिस गवई के लिए यह पल बेहद भावुक भी था। वे अगले महीने 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अपने न्यायिक करियर के 22 वर्षों में अनेक न्यायालयों की स्थापना और विस्तार में योगदान देने के बाद, अपने गृह राज्य में न्यायालय का उद्घाटन उनके लिए विशेष उपलब्धि रही। उन्होंने कहा,
“बॉम्बे हाईकोर्ट की कोल्हापुर सर्किट बेंच और मंदनगढ़ न्यायालय भवन, दोनों मेरे लिए गर्व और संतोष के प्रतीक हैं।”
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रशेखर, और जिले के संरक्षक मंत्री उदय सामंत समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि नवनिर्मित न्यायालय जमीनी स्तर पर “सुलभ और प्रभावी न्याय” की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता की सराहना की, जो न्यायपालिका की बुनियाद को मजबूत करने के लिए निरंतर काम कर रही है।
