नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को तमिलनाडु सरकार बनाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने TASMAC मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर अस्थायी रोक लगा दी।
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि TASMAC एक सरकारी कंपनी है और उसके अधिकारियों के ठिकानों पर ED द्वारा की गई तलाशी और कंप्यूटर जब्ती राज्य के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि अब तक 60 घंटे की छापेमारी हुई, लेकिन 42 में से 36 FIR बंद हो चुकी हैं।
इसके जवाब में ED की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितताएँ हुई हैं और जांच जरूरी है।
CJI गवई ने पूछा, “कानून-व्यवस्था पर किसका नियंत्रण है? क्या यह राज्य के अधिकार का अतिक्रमण नहीं है?” अदालत ने PMLA के तहत मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर तब तक रोक लगाई जब तक कि शीर्ष अदालत समीक्षा याचिका पर फैसला नहीं कर लेती।
गौरतलब है कि मई में भी सुप्रीम कोर्ट ने TASMAC मुख्यालय पर ED की कार्रवाई की आलोचना की थी और मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगाई थी।
