नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे राज्य की सियासत में बयानबाज़ी और राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है। इस बार मुकाबला सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर भी राजनीतिक टकराव का रूप लेता दिख रहा है। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है, जिससे बिहार की राजनीति में हलचल मच गई है।
“तेजस्वी जननायक बनने का नाटक कर रहे हैं”- तेज प्रताप यादव
जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेज प्रताप यादव ने अपने बयान में कहा कि, “तेजस्वी यादव जननायक बनने का नाटक कर रहे हैं। वे केवल लालू प्रसाद यादव की छत्रछाया में रहकर खुद को जननायक साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।” तेज प्रताप ने कहा कि सच्चे जननायक वे होते हैं जो सीधे जनता के बीच जाकर उनके लिए काम करते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा “लालू प्रसाद यादव, कर्पूरी ठाकुर, डॉ. भीमराव अंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे नेता ही सच्चे जननायक कहलाने के हकदार हैं।”
“राहुल गांधी और तेजस्वी को जननायक कहना गलत”
तेज प्रताप यादव ने आगे कहा कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव को जननायक कहना गलत है। उनके मुताबिक, “जनता के असली नायक लालू प्रसाद यादव हैं, जिन्होंने गरीबों और पिछड़ों की आवाज को सियासत के केंद्र में लाकर खड़ा किया।” तेज प्रताप ने कहा कि अगर तेजस्वी खुद को जननायक कहलवाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने पिता की छाया से निकलकर जनता के बीच जाकर काम करना होगा।
परिवार के भीतर वर्चस्व की जंग तेज़
यह पहला मौका नहीं है जब तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी पर खुलकर हमला बोला हो। इससे पहले भी कई बार उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर तेजस्वी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का यह बयान स्पष्ट संकेत देता है कि लालू परिवार के भीतर सत्ता और वर्चस्व की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। आरजेडी के भीतर तेजस्वी का कद लगातार बढ़ा है, जबकि तेज प्रताप खुद को नज़रअंदाज़ महसूस करते दिख रहे हैं।
6 नवंबर को होगा पहले चरण का मतदान
इसी बीच, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान की तैयारियां जोरों पर हैं। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होगा, जिसमें 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। चुनाव आयोग के अनुसार, इस चरण में कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं, जबकि 315 नामांकन रद्द हुए और 61 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिए। मुकाबला मुख्य रूप से एनडीए और महागठबंधन के बीच माना जा रहा है, हालांकि छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों की उपस्थिति से कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है।
चुनावी मैदान में भी परिवार का असर
तेज प्रताप यादव का यह बयान ऐसे समय आया है जब तेजस्वी यादव महागठबंधन की ओर से चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंके हुए हैं। वहीं, तेज प्रताप अलग राजनीतिक मंच से सक्रिय हैं और लगातार अपने बयानों के ज़रिए चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि परिवार के भीतर की यह तनातनी राजद के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है, खासकर ऐसे वक्त में जब पार्टी को एकजुटता दिखाने की ज़रूरत है।
बिहार के सियासी गलियारों में अब चर्चा सिर्फ चुनावी रणनीतियों की नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर की खींचतान की भी है। जो इस बार चुनावी नतीजों पर भी असर डाल सकती है।
