नई दिल्ली । कृषि ऋण माफी को लेकर महाराष्ट्र में बढ़ रहे आंदोलन ने महा-युति सरकार की चिंता बढ़ा दी है। किसानों की मांगों को लेकर सड़कों पर प्रदर्शन तेज होने से राजनीतिक गलियारों में उठापटक भी बढ़ गई है। सरकार फिलहाल आंदोलनकारियों के साथ कोई अंतिम सहमति बनाने में सफल नहीं हो पाई है।
आंदोलन के नेतृत्व में शामिल किसान नेता बच्चू कडू ने बताया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से गुरुवार को मुंबई में मुलाकात के बाद आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी। बुधवार शाम, कडू ने घोषणा की कि प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय राजमार्ग 44 को खाली कर पास के मैदान में चले जाएंगे। यह निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आया, जिसमें प्रदर्शनकारियों को शाम छह बजे तक सड़क खाली करने का निर्देश दिया गया था।
इसके बाद राज्य सरकार के मंत्री पंकज भोयर और आशीष जायसवाल ने आंदोलनकारियों से बातचीत की। भोयर ने कहा कि मुख्यमंत्री का संदेश लेकर आए हैं और उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मुंबई आकर समस्या पर चर्चा करने का आग्रह किया है। लंबी बातचीत के बाद कडू ने कहा कि आंदोलन स्थल खाली कर पास के मैदान में चले जाएंगे, और आगे की रणनीति मुंबई में मुख्यमंत्री से बैठक के बाद तय होगी।
न्यायालय ने स्वतः लिया संज्ञान
नागपुर उच्च न्यायालय की अवकाशकालीन पीठ ने मामले पर स्वतः संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति रजनीश व्यास की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बच्चू कडू और उनके समर्थक बिना अनुमति आंदोलन कर रहे हैं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि प्रदर्शनकारियों के अधिकार महत्वपूर्ण हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध करना आम जनता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की भूमिका सक्रिय होनी चाहिए, क्योंकि वह संविधान के तहत मौलिक अधिकारों की रक्षक है।
उच्च न्यायालय ने बताया कि 26 अक्टूबर को पुलिस ने कडू को 28 अक्टूबर को नागपुर के मौजा परसोडी में केवल एक दिन के लिए आंदोलन की अनुमति दी थी। इसके बावजूद आंदोलन जारी रहने से आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अदालत ने आदेश दिया कि बच्चू कडू और उनके समर्थक तुरंत आंदोलन स्थल खाली करें और यह शांतिपूर्ण ढंग से किया जाए ताकि कानून-व्यवस्था प्रभावित न हो।
कोर्ट और पुलिस को चेतावनी
अदालत ने चेतावनी दी कि यदि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचता है, तो आंदोलनकारियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने कहा कि यदि प्रदर्शनकारी सड़क और सार्वजनिक स्थानों से नहीं हटते, तो पुलिस को उन्हें हटाने और यातायात बहाल करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का अधिकार है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बच्चू कडू ने कहा कि वे न्यायालय का अपमान नहीं करना चाहते, लेकिन हर दिन 12 किसान आत्महत्या कर रहे हैं और न्यायिक सुनवाई न होने से वे मजबूर हैं। उन्होंने कहा, “हम वहीं रुके रहेंगे; अगर पुलिस चाहे तो हमें गिरफ्तार कर ले।”
इस तरह, कृषि ऋण माफी को लेकर महाराष्ट्र में आंदोलन और न्यायालय के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है, और सरकार के लिए भी यह राजनीतिक चुनौती बनी हुई है।
