नई दिल्ली। सेना की जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) ने इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) कोर के एक कर्नल को सेवा से बर्खास्त (dismissed) करने का आदेश दिया है। अधिकारी को अपने एक साथी कर्नल की पत्नी के साथ अवैध संबंध रखने का दोषी पाया गया। यह कोर्ट मार्शल मई 2025 में चंडीगढ़ स्थित ‘एन’ एरिया में शुरू हुआ था। अदालत ने आरोपी अधिकारी को कुल चार आरोपों में से तीन में दोषी पाया।
आरोप और सुनवाई
रिपोर्ट के अनुसार, पहला आरोप सेना अधिनियम की धारा 45 के तहत था, जो “एक अधिकारी द्वारा अपने पद और चरित्र के अनुरूप न होने वाले आचरण” से संबंधित है। आरोप था कि सितंबर 2021 से अगस्त 2022 के बीच आरोपी कर्नल ने अपने साथी अधिकारी की पत्नी से रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक फोन पर लगातार संपर्क रखा। इस आरोप में आरोपी को दोषमुक्त पाया गया। महिला के पति ने अदालत में बताया कि उसे अपनी पत्नी के कॉल डिटेल्स एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा भेजे गए पैकेट में प्राप्त हुए थे।
दूसरा और तीसरा आरोप भी धारा 45 के तहत थे। इन आरोपों में कहा गया कि आरोपी कर्नल सितंबर 2021 में हरिद्वार के होटल रेडिसन ब्लू और अप्रैल 2022 में देहरादून के होटल एनजे पोर्टिको में साथी अधिकारी की पत्नी के साथ रुका था। इन दोनों आरोपों में कर्नल को दोषी ठहराया गया।
चौथा आरोप सेना अधिनियम की धारा 69 के तहत था, जिसमें कहा गया कि आरोपी ने धोखाधड़ी से उस महिला का ‘डिपेंडेंट कार्ड’ इस्तेमाल किया, जबकि उसे पता था कि यह जाली है। इस आरोप में भी अधिकारी को दोषी पाया गया।
गवाही और तर्क
शिकायत करने वाले कर्नल ने अदालत में बताया कि उनका विवाह दिसंबर 2006 में हुआ था और वे सुखी दांपत्य जीवन जी रहे थे। हालांकि हरिद्वार की छुट्टी और लेह यात्रा के बाद उनकी पत्नी के व्यवहार में बदलाव आया। लेह यात्रा के दौरान महिला उसी आवास में ठहरी थी जिसकी व्यवस्था आरोपी कर्नल ने की थी।
महिला ने अदालत में कहा कि वह पिछले 16 वर्षों से मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रही थी और अब अपने पति के साथ नहीं रह सकती। उसने आरोप लगाया कि आरोपी कर्नल उसका बचपन का सहपाठी है और यह उसका अधिकार है कि वह किसी से बात करे या न करे। महिला ने किसी भी होटल में ठहरने के आरोपों से इनकार किया।
कोर्ट मार्शल प्रक्रिया
कोर्ट मार्शल की अध्यक्षता मुख्यालय यूनिफॉर्म फोर्स के ब्रिगेडियर जगमिंदर सिंह गिल ने की, जबकि छह कर्नल सदस्य थे। यह कार्रवाई 8 माउंटेन डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल के. महेश के आदेश पर शुरू की गई थी।
जनरल कोर्ट मार्शल द्वारा सुनाई गई सेवा से बर्खास्तगी की सजा अब कन्वीनिंग अथॉरिटी की पुष्टि के बाद अंतिम रूप लेगी। सेना के नियमों के अनुसार, किसी भी ऐसे निर्णय की पुष्टि से पहले संबंधित अधिकारी को अपील का अवसर प्रदान किया जाता है।
यह मामला सेना में पद और नैतिकता की गरिमा को बनाए रखने की दिशा में कठोर संदेश देता है और यह सुनिश्चित करता है कि सेवा में अनुशासन और चरित्र के मानकों का उल्लंघन किसी भी अधिकारी द्वारा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
