बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के बाद सियासी माहौल गरम हो गया है। हर दल के नेता अपने-अपने दावे और भविष्यवाणियां कर रहे हैं। इस बीच, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी खासे उत्साहित नजर आ रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ चुनावी नतीजों पर भरोसा जताया, बल्कि सोशल मीडिया पर जनता को “माछ-भात भोज” का खुला निमंत्रण देकर राजनीतिक हलचल तेज कर दी है।
मुकेश सहनी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (X) पर लिखा, “अरे ओ दिलजलों, पहले राउंड के मतदान में जब हवा टाइट हो गई, तो अब ख्याली पुलाव पकाने बैठे हो। याद रखो, मुकेश सहनी वचन का पक्का है, जब तक तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री नहीं बना देगा और भाजपा को पटखनी नहीं देगा, तब तक चैन से बैठने वाला नहीं है।”
उनके इस पोस्ट के साथ ही बिहार की सियासत में हलचल मच गई। सहनी ने अपने संदेश में यह भी घोषणा की कि 14 नवंबर के बाद जीत के जश्न में ‘माछ-भात भोज’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें “प्लेट भी VIP होगी।” यह बयान चुनावी बहस का नया मुद्दा बन गया है और सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
सहनी के इस आत्मविश्वास भरे पोस्ट ने चुनावी परिदृश्य में नई ऊर्जा भर दी है। एक ओर जहां एनडीए बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को अपने पक्ष में बता रहा है, वहीं महागठबंधन के नेता इसे सत्ता परिवर्तन का संकेत मान रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुकेश सहनी का यह अंदाज न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह उनके कोर वोट बैंक — खासकर निषाद समुदाय — को भी संदेश देने की कोशिश है कि वे अब महागठबंधन के साथ मजबूती से खड़े हैं।
दिलचस्प बात यह है कि पिछली बार मुकेश सहनी ने तेजस्वी यादव पर तीखे हमले किए थे और उन्हें “पीठ में छुरा घोंपने वाला” तक बताया था। लेकिन इस बार उन्होंने अपने रुख में बड़ा बदलाव दिखाया है और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की शपथ दोहराई है। यह कदम स्पष्ट रूप से सहनी की रणनीतिक राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसके जरिए वे न केवल महागठबंधन में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं, बल्कि भाजपा विरोधी मतदाताओं में भी अपनी छवि को सुधारना चाहते हैं।
राजनीतिक पंडितों के अनुसार, यह “माछ-भात भोज” सिर्फ एक जश्न का ऐलान नहीं, बल्कि एक राजनीतिक प्रतीक है — जो निषाद समुदाय की पहचान से जुड़ा हुआ है। सहनी इसे अपने समर्थन आधार को सक्रिय करने और जनता के बीच ‘VIP’ की मौजूदगी दिखाने के एक मौके के रूप में देख रहे हैं।
जैसे-जैसे 14 नवंबर, यानी वोटों की गिनती की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यह पोस्ट बिहार की चुनावी चर्चा का केंद्र बन चुका है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या मुकेश सहनी का आत्मविश्वास वास्तविक जीत में बदलता है या यह सिर्फ एक चुनावी दांव साबित होता है।
