ओंकारेश्वर। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भगवान ओंकारेश्वर महादेव भैरव अष्टमी के शुभ अवसर पर अपने पारंपरिक मालवा भ्रमण से तीर्थनगरी ओंकारेश्वर लौट आए। भगवान की वापसी के साथ ही मंदिर परिसर में श्रद्धा, उत्सव और उल्लास का वातावरण छा गया। भक्ति की गूंज और आतिशबाजी के बीच पूरा नगर “हर-हर महादेव” के जयघोष से शिवमय हो उठा।
सदियों पुरानी प्रतीकात्मक परंपरा
यह अनोखी परंपरा कार्तिक शुक्ल पक्ष की गोपाष्टमी से भैरव जयंती तक चलती है। मान्यता है कि ओंकारेश्वर महादेव हर वर्ष मालवा क्षेत्र के भक्तों का हालचाल जानने के लिए प्रतीकात्मक यात्रा पर निकलते हैं।
मंदिर ट्रस्ट के सहायक मुख्य कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन ने बताया कि यह परंपरा सदियों से निरंतर निभाई जा रही है और आज भी उसी श्रद्धा के साथ पालन हो रहा है।
भगवान की वापसी पर भव्य श्रृंगार और अनुष्ठान
सोमवार शाम मंदिर में पंडित राजराजेश्वर दीक्षित के आचार्यत्व में ट्रस्टी राजा राव पुष्पेंद्र सिंह और जंगबहादुर सिंह की उपस्थिति में विशेष पूजन, आरती और अभिषेक किए गए।शाम 4 बजे भगवान ओंकारेश्वर के मूल स्वरूप का भव्य श्रृंगार किया गया, वहीं रात 9.30 बजे शयन आरती के बाद गर्भगृह में चौपड़, पासे और झूला सजाया गया, जिससे गर्भगृह की रौनक पुनः लौट आई।
भक्तों का उल्लास और भोग का आयोजन
भगवान के लौटने की खुशी में मंदिर कर्मचारियों ने आपस में चंदा जमा कर सवा क्विंटल मेवा का भोग लगाया। इसके बाद परिसर में आतिशबाजी और दीपों की झिलमिलाहट से माहौल भक्तिमय हो गया।भक्तों के हर-हर महादेव के उद्घोष से पूरी तीर्थनगरी गुंजायमान हो उठी।
आस्था और संस्कृति की जीवंत झलक
वैदिक पंडित परिषद ने इस आयोजन को “हमारी आस्था, संस्कृति और परंपरा की जीवंत मिसाल” बताया।
भगवान ओंकारेश्वर की वापसी के साथ गर्भगृह में पूजन-श्रृंगार पुनः बहाल हो गया है और भक्तों की भीड़ लगातार मंदिर पहुंच रही है।
