नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सबसे चर्चित और विवादित सीटों में शामिल मोकामा में एक बार फिर बाहुबली अनंत सिंह का दबदबा देखने को मिला। लंबे समय से सुर्खियों में रही इस सीट पर उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी वीणा देवी को बड़े अंतर से हराकर जीत दर्ज की है। चुनाव से पहले माहौल अत्यंत तनावपूर्ण था, लेकिन नतीजे आने के बाद मोकामा में यह साफ हो गया कि जनता ने एक बार फिर अनंत सिंह पर भरोसा जताया है।
बेहद रोमांचक गिनती, 28 हजार से अधिक वोटों की बढ़त
26 राउंड की मतगणना के बाद अनंत सिंह ने 28,206 वोटों की बढ़त के साथ निर्णायक जीत हासिल की। उन्हें कुल 91,416 वोट मिले जबकि आरजेडी प्रत्याशी और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी को 63,210 वोट प्राप्त हुए। हालांकि शुरुआती रुझानों में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिले थे, लेकिन बीच के राउंड से ही अनंत सिंह ने अपना अंतर बढ़ाना शुरू कर दिया था।
मोकामा विधानसभा सीट इस बार चर्चाओं में रही क्योंकि यहां त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही थी। जन सुराज पार्टी के पीयूष प्रियदर्शी भी मैदान में थे, जिन्होंने अपने जातीय आधार के सहारे मजबूती से प्रचार किया था। इसके बावजूद जनता का झुकाव अंततः अनंत सिंह की ओर रहा।
छठी बार विधायक बने अनंत सिंह
अनंत सिंह की यह जीत कई मायनों में खास है। 2005 में पहली बार विधायक बनने के बाद उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में लगातार अपनी पकड़ बनाए रखी है। 2025 में मिले इस जनादेश ने उन्हें मोकामा विधानसभा सीट से छठी बार जीत दिलाई है।
बीते कुछ वर्षों में अनंत सिंह कई मामलों में कानूनी चुनौतियों का सामना करते रहे, लेकिन क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई। इस बार भी जेल में रहते हुए चुनाव लड़ने और प्रचार में सीमित भूमिका होने के बावजूद उन्होंने भारी मतों से जीत दर्ज की।
प्रचार के दौरान बढ़ा तनाव, हिंसा में गई एक जान
चुनाव प्रचार के दौरान अनंत सिंह और जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के काफिलों के बीच तनाव बढ़ गया था। दोनों दलों के समर्थकों के बीच मारपीट, पथराव और फायरिंग तक की नौबत आ गई। इस हिंसक झड़प में जन सुराज पार्टी के समर्थक दुलारचंद यादव की मौत हो गई थी।
घटना के बाद दोनों पक्षों पर एफआईआर दर्ज हुई और अनंत Singh को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसके बावजूद यह घटना चुनावी समीकरण को ज्यादा नहीं बदल सकी और मोकामा की जनता ने एक बार फिर अनंत सिंह को ही चुना।
1990 से बाहुबलियों का प्रभाव, मोकामा की बदलती राजनीतिक कहानी
मोकामा विधानसभा सीट दशकों से बाहुबलियों के लिए राजनीति का प्रमुख केंद्र रही है। 1990 और 1995 में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह ने यहां जीत हासिल की थी। 2000 में सूरजभान सिंह ने दिलीप सिंह को हराकर सत्ता हासिल की।
2005 में पहली बार जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए अनंत सिंह ने सूरजभान सिंह को मात दी। उसी साल राष्ट्रपति शासन के बाद हुए दूसरे चुनाव में भी उन्होंने जीत दोहराई। 2010 में भी वे जेडीयू के टिकट पर विधायक बने।
2015 में जेडीयू से मतभेद के बाद उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और फिर भी जीत दर्ज की।
2020 में आरजेडी में शामिल होकर उन्होंने अपनी पांचवीं जीत हासिल की।
2022 में उन्हें सजा मिलने के बाद विधानसभा सदस्यता रद्द हुई और उनकी पत्नी नीलम देवी ने उपचुनाव में आरजेडी के टिकट पर जीत दर्ज की। बाद में फ्लोर टेस्ट के दौरान नीलम देवी एनडीए में चली गईं।
2025 में कोर्ट से राहत के बाद वापसी
कोर्ट से बरी होने के बाद अनंत सिंह ने 2025 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए मोकामा सीट पर फिर से कब्जा कर लिया। उनकी यह जीत न केवल राजनीतिक वापसी है, बल्कि क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ का भी संकेत है।
