नई दिल्ली बिहार की राजनीति में इन दिनों सिर्फ चुनावी हार की चर्चा नहीं, बल्कि लालू प्रसाद यादव के परिवार में गहराती खींचतान भी सुर्खियों में है। आरजेडी की चुनावी पराजय के बाद पार्टी के अंदर उठी उठापटक ने पूरे राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। खासकर रोहिणी आचार्य द्वारा परिवार से सार्वजनिक रूप से रिश्ते खत्म करने के ऐलान के बाद इस विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। इस मुद्दे पर अब लालू परिवार में चल रही दूरियों को तेज प्रताप यादव ने खुलकर सामने लाते हुए अपने छोटे भाई और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को खुली चुनौती दे दी है।
तेज प्रताप का यह हमला न सिर्फ परिवारिक दरार को उजागर करता है बल्कि आरजेडी की वर्तमान स्थिति को लेकर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। इंस्टाग्राम पर की गई अपनी विस्तृत पोस्ट में तेज प्रताप ने आरोप लगाया कि पार्टी में उनकी आवाज को लगातार दबाया गया और अंततः बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। लेकिन उनका दावा है कि पार्टी से उनके बाहर होने के बाद ही जनता को समझ आया कि आरजेडी ने क्या खो दिया।
सबको निकालोगे तो रहेगा कौन? जनता पूछ रही है सवाल
तेज प्रताप ने अपनी पोस्ट में कहा कि आरजेडी की गिरती लोकप्रियता और घटती सीटों की जिम्मेदारी नेतृत्व को खुद समझनी चाहिए। उन्होंने सीधे तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी से लगातार लोगों को बाहर करने की नीति ने संगठन को कमजोर कर दिया है। तेज प्रताप ने पूछा।
सबको निकालोगे तो रहेगा कौन? यही सवाल अब जनता पूछ रही है।
उन्होंने दावा किया कि जब उन्हें पार्टी से निकाला गया तो कई लोग उन्हें हल्के में ले रहे थे। लेकिन जैसे ही उन्होंने नई RJD की सच्चाई जनता के सामने रखी उसी दिन नेतृत्व को समझ आया कि वह क्या खो चुके हैं। तेज प्रताप ने आरजेडी की लगातार घटती सीटों का हवाला देते हुए एक सख्त संदेश दिया
2015 — 80 सीटें
2020 — 75 सीटें
2025 — 25 सीटें अनुमानित/दावा
इन आंकड़ों के जरिए तेज प्रताप का निशाना साफ था नेतृत्व में चूक संगठन में असंतोष और पार्टी के भीतर छुपे असंतुलन की ओर इशारा।
गिरावट जनता बता रही है मैंने नहीं तेज प्रताप की दो टूक
तेज प्रताप ने आगे लिखा कि पार्टी में गिरावट का कारण केवल उनका बाहर होना नहीं, बल्कि वह जनता का नजरिया है जो अब साफ तौर पर बदलाव की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि जनता अब पूछ रही है कि अगर इसी तरह पार्टी में एक-एक कर अनुभवी और समर्पित लोगों को बाहर निकाला जाता रहा, तो आरजेडी बचेगी कैसे उनकी पोस्ट का यह हिस्सा राजनीतिक विश्लेषकों में भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि हालिया चुनाव ने यह साबित किया कि आरजेडी को नेतृत्व के सामने गंभीर चुनौतियाँ हैं चाहे वह संगठनात्मक ढाँचा हो, चुनावी रणनीति या आंतरिक एकता।
पहले मुझे फिर देवी जैसी बहन को निकाला लालू परिवार में नई दरार
परिवारिक विवाद को और स्पष्ट करते हुए तेज प्रताप ने अपनी बहन रोहिणी आचार्य का भी मामला उठाया। उन्होंने लिखा कि पहले उन्हें परिवार से दूर किया गया और फिर रोहिणी जैसी देवी समान बहन को भी बाहर कर दिया गया। रोहिणी आचार्य के हालिया बयान ने लालू परिवार के भीतर की खामोश दरारों को खुलकर सामने ला दिया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से लालू परिवार से रिश्ते खत्म करने की घोषणा करते हुए भावुक संदेश लिखे थे जिससे राजनीतिक माहौल और अधिक तनावपूर्ण हो गया।
तेज प्रताप ने इसे इज्जत का तमाशा बताते हुए कहा
जिस परिवार ने लोगों को हंसाया और रुलाया वही आज खुद मजाक का पात्र बन गया है। उन्होंने महाभारत का उदाहरण देते हुए लिखा कि जब-जब धर्म और सम्मान पर प्रहार हुआ है इतिहास बदला है। यह संकेत साफ था कि वह आरजेडी और परिवार के भीतर हो रहे फैसलों से सहमत नहीं हैं और सामने खुलकर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं।
इस विवाद का राजनीतिक असर
लालू परिवार में इस तरह के खुलते मतभेद निश्चित रूप से बिहार की राजनीति पर गहरा असर डालेंगे। आरजेडी पहले ही चुनावी हार से उबरने की कोशिश में है ऐसे में परिवारिक विवाद उसकी छवि पर और चोट कर रहे हैं। तेजस्वी यादव नेतृत्व को मजबूत करने में लगे हैं लेकिन तेज प्रताप का विरोध और रोहिणी आचार्य के बयान पार्टी की आंतरिक एकता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर विवाद इसी तरह बढ़ता रहा, तो पार्टी की कोर वोटबैंक पर भी असर पड़ सकता है। लालू प्रसाद यादव की विरासत को सुरक्षित रखने की चुनौती अब पहले से कहीं अधिक कठिन हो गई है।
तेज प्रताप की पोस्ट ने बिहार की राजनीति में एक नया विमर्श छेड़ दिया है-क्या आरजेडी नेतृत्व में बदलाव की जरूरत है या परिवारिक विवाद को शांत करने के लिए मजबूत कदम उठाने की फिलहाल इतना साफ है कि लालू परिवार में दरार गहरी है और तेज प्रताप के बयान इस विवाद को और उग्र बना सकते हैं। चुनावी हार के बाद पार्टी को एकजुट करने की बजाय विवाद का दायरा और बढ़ रहा है जिससे आरजेडी की सियासत पर बड़ा प्रभाव पड़ना तय है।
