नई दिल्ली |यह कहानी एक भयावह और दिल दहला देने वाले हादसे की है, जिसने 20 नवंबर 2016 को कानपुर देहात के पुखरायां में ट्रेन यातायात को हिला कर रख दिया था ट्रेन नंबर 19321 इंदौर-पटना एक्सप्रेस मध्य प्रदेश के इंदौर से पटना की ओर जा रही थी रात का समय करीब तीन बजे था और ट्रेन झांसी-कानपुर लाइन पर मलासा और पुखरायां के बीच अपनी रफ्तार पकड़ रही थी करीब 106 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से
नवंबर की ठंडी रात में अधिकांश यात्री कंबल और चादर में लिपटे सो रहे थे तभी अचानक ट्रेन को जोरदार झटका लगा और कई यात्री हवा में उछलकर कोच की छत से टकराकर नीचे गिर गए इस झटके के बाद पूरी ट्रेन में कोहराम मच गया घटनास्थल पर मलबे में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए ग्रामीणों ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया लेकिन स्थिति गंभीर थी
जांच में पता चला कि हादसे का मुख्य कारण एस-1 स्लीपर कोच की वेल्डिंग का टूटना था यह हिस्सा जंक और पुरानी दरारों की वजह से कमजोर हो चुका था जब यह पटरी पर गिरा तो ट्रेन की दो बोगियां एस-1 और एस-2 पटरी से उतर गईं यह बोगियां फुटबॉल की तरह उछलकर तीसरी बोगी बी-3 पर जा गिरी और तेज झटका लगा कुल 14 कोच पटरी से उतर गए
हादसे में अधिकांश मौतें एस-1 और एस-2 कोच में हुईं क्योंकि यात्री सो रहे थे और अचानक हुए झटके ने उन्हें बचने का मौका नहीं दिया मलबे में फंसे यात्रियों को निकालने के लिए एनडीआरएफ की टीम डॉक्टरों और स्थानीय पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया भारी मशीनरी से मलबा हटाया गया और रेल मोबाइल मेडिकल यूनिट्स को तैनात किया गया
भारतीय रेलवे ने इस हादसे की जांच रेलवे सुरक्षा आयुक्त को सौंपी और 2020 में जारी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि दुर्घटना ट्रैक फेल्योर नहीं बल्कि मैकेनिकल फेल्योर के कारण हुई थी पुराने और जंग लगे वेल्डिंग वाले कोच की वजह से यह हादसा हुआ
इस हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने सुरक्षा में सुधार के लिए कई पहलें कीं ‘कवच’ नामक स्वदेशी एंटी-कोलिजन सिस्टम को तेजी से लागू किया गया जो ट्रेनों को आपस में टकराने और खतरे की स्थिति में ऑटोमैटिक ब्रेक लगाने में सक्षम है ऑटोमैटिक ब्लॉक सिग्नलिंग इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और पुराने सिग्नल सिस्टम को अपग्रेड करने का काम भी चल रहा है
मानव त्रुटि को कम करने के लिए लोको पायलटों के लिए बेहतर सीट एयर-कंडीशनिंग और रेस्ट रूम अनिवार्य किए गए हैं हर ट्रेन में ऑटोमैटिक फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम लगाए जा रहे हैं पटरी की जांच के लिए अल्ट्रासोनिक मशीनों के साथ ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मॉनिटरिंग शुरू की गई और पुरानी ICF कोचों को सुरक्षित LHB कोचों से बदलने का काम तेजी से चल रहा है
इस तरह यह हादसा रेलवे की सुरक्षा और तकनीक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया जिसने भविष्य में ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाने की प्रेरणा दी
