नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर हलचल से भर गई है और सत्तारूढ़ गठबंधन यानी बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट के बीच तनाव की खबरें ज़ोर पकड़ चुकी हैं। यह चर्चा तब और तेज हो गई जब उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अचानक दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि शिंदे की यह मुलाकात मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से चल रहे कथित मतभेदों और बीएमसी सहित स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर बढ़ रहे तनाव के कारण हुई। सूत्र कहते हैं कि शिंदे ने अमित शाह के सामने अपनी नाराजगी रखी और गठबंधन में हो रही गतिविधियों पर चिंता जताई।
उद्धव ठाकरे का तंज और बढ़ता राजनीतिक तापमान
बीजेपी और शिंदे गुट के बीच बढ़ती दूरियों पर शिवसेना उद्धव गुट के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तीखा हमला बोला। उन्होंने बिना नाम लिए शिंदे के दिल्ली दौरे पर तंज कसते हुए कहा कि आज ही आपने अखबार में पढ़ा होगा कि कोई तो दिल्ली गया और अब रो रहा है कि पापा मुझे इसने मारा। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर यह लाचारी क्यों है। उन्होंने कहा कि अगर सही उम्र में सही शिक्षा मिली होती तो ऐसे हालात ही न बनते।उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि पहले विपक्ष को फंड मिलने में मुश्किल होती थी पर अब तो सत्ता पक्ष के ही विधायक आपस में उलझ रहे हैं और मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। उन्होंने इसे सत्ता के भीतर की कमजोरी बताया।
शिंदे गुट और बीजेपी के बीच अनबन की वजहें
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों दलों के बीच बढ़ते मतभेद के कई कारण सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे हाल ही में फडणवीस से दूरी बनाए हुए हैं। फडणवीस के एक अहम कार्यक्रम में बुलावे के बावजूद शिंदे शामिल नहीं हुए जबकि डेप्युटी सीएम अजित पवार वहां मौजूद थे।बताया जा रहा है कि बीजेपी द्वारा शिवसेना शिंदे गुट के कुछ नेताओं को तोड़कर अपने पाले में लाने से भी शिंदे नाराज हैं। इसी मुद्दे की वजह से शिंदे गुट के कुछ मंत्रियों ने एक कैबिनेट बैठक का बहिष्कार भी किया था। यह घटना गठबंधन में तनाव को और बढ़ाने वाली मानी जा रही है।
अजित पवार भी आए निशाने पर
उद्धव ठाकरे ने अपनी जनसभा में उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा और संस्कार बहुत जरूरी हैं क्योंकि बच्चा वही सीखता है जो वह घर में देखता है। उन्होंने कहा कि अगर पिता ने घोटाला किया होगा तो बेटा उससे बड़ा घोटाला कर सकता है। अपने भाषण में उन्होंने सोनम वांगचुक का उदाहरण देते हुए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
फडणवीस और अजित पवार का रुख
उद्धव के हमलों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय देवेंद्र फडणवीस गठबंधन को एकजुट रखने की कोशिशों में लगे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा है कि बीजेपी और शिवसेना शिंदे गुट में किसी तरह का बड़ा मतभेद नहीं है और जो भी गलतफहमियां हैं उन्हें बातचीत से सुलझा लिया जाएगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अब दोनों दल अपने कार्यकर्ताओं को एक दूसरे की पार्टी में शामिल करने यानी पोचिंग की गतिविधि बंद करेंगे।
यह आश्वासन शिंदे गुट की नाराजगी कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।फडणवीस ने अतीत में उद्धव की रैलियों को रुदाली शो कहकर निशाना साधा था जो बताता है कि वे तंज का जवाब तंज से देते रहे हैं लेकिन फिलहाल वे बयानबाजी को शांत करने की कोशिश में लगे हैं।उधर अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार से जुड़े कथित जमीन सौदे के मामले पर सफाई देते हुए खुद को बेदाग बताया। उन्होंने कहा कि अपने 35 साल के राजनीतिक जीवन में उन्होंने कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि उनके परिवार में किसी ने गलत करने की कोशिश की तो उन्होंने कभी समर्थन नहीं किया।उन्होंने यह भी कहा कि यह विवाद चुनावी मौसम में उछाला गया है और जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई सामने आएगी।
महाराष्ट्र में इन दिनों राजनीतिक हलचल तेज है। शिंदे गुट की नाराजगी बीजेपी की रणनीतियों को चुनौती दे रही है और दूसरी ओर उद्धव ठाकरे लगातार अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर दबाव बनाते नजर आ रहे हैं। हालांकि फडणवीस और अजित पवार दोनों ही गठबंधन की स्थिरता बनाए रखने की कोशिश करते दिख रहे हैं पर जमीन पर हालात बताते हैं कि आगामी स्थानीय निकाय चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति को और गर्म कर सकते हैं।
