(West Bengal-Bangladesh border) पर इन दिनों असामान्य हलचल है। एनआरसी और नागरिकता सत्यापन (NRC and citizenship verification) प्रक्रियाओं के बाद अब एसआईआर (SIR) की संभावित कार्रवाई की चर्चा के बीच बड़ी संख्या में बांग्लादेशी अवैध प्रवासी राज्य छोड़कर वापस बांग्लादेश की ओर लौट रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल और स्थानीय पुलिस के अनुसार पिछले दो सप्ताह में हजारों लोग सीमा पार कर चुके हैं, जबकि कई गांवों में घर और झुग्गियां लगभग खाली हो गई हैं।
हकीमपुर पोस्ट, चपईनवाबगंज, मालदा, मूर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना के सीमा क्षेत्रों में सबसे अधिक गतिविधि देखी गई है।बीएसएफ अधिकारियों के अनुसार केवल मालदा सेक्टर में ही लगभग 8,000 से 9,000 लोगों के सीमा पार करने का अनुमान है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि कुल मिलाकर 26,000 के आसपास लोग पिछले दो हफ्तों में पश्चिम बंगाल से गायब हुए हैं, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेश में प्रवेश कर चुके हैं।
एक बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि न कोई औपचारिक डिपोर्टेशन आदेश जारी हुआ है और न ही बड़े पैमाने पर पुलिस की कार्रवाई। लेकिन एसआईआर की चर्चा फैलते ही ये प्रवासी खुद ही सीमा पार कर रहे हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर 24 परगना के सीमावर्ती स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति अचानक घट गई है। कुछ स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि पुराने ग्राहक अचानक गायब हो गए। सीमा के आसपास के शहरों और कस्बों में काम करने वाले मजदूर अचानक घट गए हैं।
एसआईआर के बाद गिरफ्तारी और डिटेंशन का डर
पश्चिम बंगाल के सीमा-इलाकों से पकड़ में आए या लौटते हुए कई प्रवासियों ने स्थानीय मीडिया से बातचीत में कहा कि पहचान-पत्र नहीं है, कागज नहीं है।अगर एसआईआर शुरू हुआ तो हम बच नहीं पाएंगे, इसलिए हम लौट रहे हैं। कुछ ने कहा हमारे पास नकली कागज है और वह पकड़ में आ जाएंगे। सोशल मीडिया और अवैध प्रवासियों के व्हाट्सएप ग्रुप में भी यह संदेश तेजी से फैलाए जा रहे हैं कि एसआईआर में सब अवैध प्रवासी पकड़े जाएंगे। रजिस्ट्रेशन नहीं होने, दस्तावेज न होने या पहचान-पत्र में असंगति होने पर डिटेंशन कैंप भेजे जाने का डर भी बताया गया है। स्थानीय बिचौलियों ने चेतावनी दी है कि बार-बार वेरिफिकेशन होने वाला है और उनके नाम सूची में आ सकते हैं।
बंगाल बॉर्डर की जनसांख्यिकीय स्थिति में बड़ा बदलाव संभव
विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिम बंगाल सीमा हमेशा से घुसपैठ और अवैध माइग्रेशन का सबसे सक्रिय कॉरिडोर रही है। एनआरसी, वेरिफिकेशन और एसआईआर जैसी प्रक्रियाओं की चर्चा से भी प्रवासियों में पहले से मौजूद असुरक्षा फिर बढ़ गई है। दक्षिण एशिया मामलों के विश्लेषक डॉ असीम मक्खन के अनुसार अगर यह प्रवाह कुछ हफ्तों तक जारी रहता है तो बंगाल बॉर्डर की जनसांख्यिकीय स्थिति में बड़ा बदलाव हो सकता है। एसआईआर की चर्चा और दस्तावेज जांच के डर ने अवैध प्रवासियों के पलायन को स्वतः तेज कर दिया है।
