नई दिल्ली । कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर गहरी अंदरूनी खींचतान चल रही है और इस विवाद ने उस वक्त नया मोड़ लिया जब कुछ कांग्रेस विधायक हाल ही में दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिले। इन विधायकों ने डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने की अपनी मजबूत पैरवी की और कहा कि इस मामले में अंतिम निर्णय आलाकमान ही लेगा।
रामनगर से विधायक इकबाल हुसैन ने मीडिया से कहा मैं 200 प्रतिशत विश्वास करता हूं कि डीके शिवकुमार जल्द ही मुख्यमंत्री बनेंगे। उनका कहना था कि इस निर्णय को आलाकमान ही तय करेगा और पार्टी के नेताओं के बीच सत्ता का हस्तांतरण एक गुप्त समझौते के तहत होगा जिसमें पांच से छह प्रमुख नेता शामिल होंगे। हालांकि हुसैन ने यह भी साफ किया कि विधायक पार्टी नेतृत्व के फैसले का पालन करेंगे चाहे वह जो भी हो।
मद्दूर के विधायक के.एम. उदय ने भी दिल्ली यात्रा के बाद बताया कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व से आगामी कैबिनेट फेरबदल में नए चेहरों और युवाओं को अवसर देने की मांग की है। इस पर उन्हें संकेत मिले हैं कि इस पर विचार किया जाएगा। लेकिन शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर उदय ने भी कहा कि निर्णय आलाकमान को करना है और सभी विधायकों को इसका सम्मान करना होगा।
कर्नाटक कांग्रेस में यह विवाद और तेज हो गया है जब पार्टी सरकार ने 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा समय पूरा किया। इस समय के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच सत्ता-साझेदारी समझौते को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही थीं। कई सूत्रों का कहना है कि सत्ता परिवर्तन की संभावना अब प्रबल हो गई है।
विधायकों ने इस मुद्दे पर जल्दी से जल्दी फैसला लेने की अपील की है, क्योंकि वर्तमान स्थिति में पार्टी में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मागडी के विधायक एच.सी. बालकृष्ण ने कहा मुख्यमंत्री का चयन कोई महत्वपूर्ण मुद्दा नहीं है, लेकिन पार्टी के अंदर चल रही अनिश्चितता कांग्रेस के लिए हानिकारक हो रही है। हमें इस भ्रम को जल्द से जल्द खत्म करने की जरूरत है और हाईकमान को इस मुद्दे पर स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए।
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार के कामकाजी आधे समय के बाद नेताओं के बीच यह सत्ता परिवर्तन का विवाद एक गंभीर मुद्दा बन गया है, खासकर डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच चल रहे संघर्ष के कारण। पिछले सप्ताह लगभग दस विधायक एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिलने दिल्ली गए थे और इस सप्ताह छह और विधायक उनके साथ गए। इस मुद्दे पर अधिक विधायकों के दिल्ली जाने की संभावना भी जताई जा रही है।
इस सूरत में कर्नाटक कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही उथल पुथल और आंतरिक खींचतान से पार्टी को नुक्सान भी हो सकता है। अगर जल्द कोई निर्णय नहीं लिया गया तो यह स्थिति कांग्रेस की राजनीतिक मजबूती को कमजोर कर सकती है खासकर आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए।
