नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना लगातार रोमांचक होती जा रही है।एक तरफ कई दिग्गज नेताओं की किस्मत ईवीएम के बटन में कैद है तो दूसरी तरफ कई सीटों पर बाहुबली नेताओं के बीच सीधी और बेहद कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। वोटों की गिनती शुरू होते ही माहौल चुनावी रंग में डूब गया और शुरुआती रुझानों ने पूरे राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज कर दी।
शुरुआती रुझानों में एनडीए की मजबूत बढ़त
अब तक सामने आए रुझानों के अनुसार भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 197 सीटों पर आगे चल रहा है जबकि महागठबंधन को केवल 43 सीटों पर बढ़त मिली है। अन्य दल तीन सीटों पर आगे हैं। इन आंकड़ों ने एनडीए खेमे में उत्साह और महागठबंधन में चिंता दोनों को तेज कर दिया है।
दिग्विजय सिंह का बड़ा बयान
इसी बीच मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने चुनावी नतीजों को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने शुरुआती रुझानों के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई गंभीर सवाल उठाते हुए दावा किया कि बिहार में वोट कटने और जुड़ने को लेकर बड़ा खेल हुआ है। दिग्विजय सिंह का कहना है कि उनका शक सही साबित हुआ और चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी नहीं रही।
उन्होंने लिखा कि 62 लाख वोट सूची से काट दिए गए और लगभग 20 लाख वोट जोड़े गए जिनमें से करीब 5 लाख वोट बिना एस आई आर फॉर्म के बढ़ा दिए गए। उनका आरोप है कि कटे हुए वोटों में ज्यादातर संख्या गरीब कमजोर दलित और अल्पसंख्यक वर्ग की थी। उन्होंने ईवीएम पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि मशीनों की विश्वसनीयता पर देशव्यापी चर्चा फिर से जरूरी हो गई है।
विजयी उम्मीदवारों को दिग्विजय सिंह की बधाई
हालांकि तीखे सवाल उठाने के साथ दिग्विजय सिंह ने आगे चल रहे विजयी उम्मीदवारों को बधाई भी दी और उन्हें शुभकामनाएं दीं। उन्होंने उम्मीद जताई कि बिहार में नया जनादेश राज्य को विकास की दिशा में आगे ले जाएगा और जनता की उम्मीदों को पूरा करने वाला साबित होगा।
कांग्रेस को नसीहत संगठन मजबूत करने की जरूरत
दिग्विजय सिंह ने इस मौके पर कांग्रेस को भी सीधी सलाह दी। उन्होंने कहा कि आज के दौर का चुनाव जनसभाओं और बड़ी रैलियों से नहीं जीता जाता बल्कि बूथ स्तर पर किए जाने वाले सघन जनसंपर्क और मजबूत मैनेजमेंट से जीत हासिल होती है। उनके अनुसार कांग्रेस को अब अपनी जमीनी पकड़ मजबूत करनी होगी। हर बूथ पर सक्रिय कैडर की मौजूदगी अनिवार्य है क्योंकि चुनाव अब बूथ से जीता जाता है न कि मंच से।
उन्होंने लिखा कि कांग्रेस को संगठन को फिर से खड़ा करने की जरूरत है और यह तभी संभव है जब स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ता मजबूत बनें। जब तक बूथ स्तर पर पार्टी की पकड़ मजबूत नहीं होगी तब तक चुनावी जीत मुश्किल बनी रहेगी।
चुनावी माहौल में नई चर्चा
दिग्विजय सिंह के इन बयानों ने चुनावी माहौल में एक नई चर्चा छेड़ दी है। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि इस बार बिहार का चुनाव सिर्फ नेताओं की लोकप्रियता पर नहीं बल्कि बूथ स्तर पर काम करने वाली टीमों की रणनीति पर ज्यादा निर्भर है। सोशल मीडिया और डिजिटल कैंपेन का प्रभाव भी इस बार बेहद गहरा रहा है।
नए जनादेश से जुड़ी उम्मीदें
वोटों की गिनती जैसे जैसे आगे बढ़ रही है सारी निगाहें अंतिम नतीजों पर टिकी हैं। शुरुआती रुझान एनडीए की मजबूत वापसी का संकेत दे रहे हैं लेकिन अंतिम परिणाम का इंतजार हर किसी को है। दिग्विजय सिंह की ओर से चुनावी प्रक्रिया पर उठाए गए सवाल और कांग्रेस को दी गई नसीहत ने राजनीतिक माहौल को और भी गर्म कर दिया है।
अंत में उन्होंने लिखा कि बिहार की जनता ने जैसा जनादेश दिया है उसे सभी दलों को सम्मान देना चाहिए और नए विजेताओं से अपेक्षा है कि वे राज्य में शांति न्याय और विकास को प्राथमिकता देंगे।
