नई दिल्ली/ हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता, ही-मैन धर्मेंद्र ने 89 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। अपने 90वें जन्मदिन से मात्र 15 दिन पहले इस महान कलाकार के निधन ने पूरे देश, बॉलीवुड और करोड़ों फैंस को गहरे शोक में डुबो दिया है। रविवार को मुंबई के विले पार्ले श्मशान घाट पर नम आँखों और भारी दिल के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। सबसे भावुक दृश्य वह था जब बड़े बेटे सनी देओल ने पिता को मुखाग्नि दी। उस क्षण श्मशान घाट पर मौजूद हर व्यक्ति की आँखें छलक उठीं-एक युग, एक आवाज, एक व्यक्तित्व पंचतत्व में विलीन हो रहा था।
लंबी बीमारी के बाद बुझी दिग्गज की लौ
धर्मेंद्र पिछले कई महीनों से अस्वस्थ थे। उन्हें 31 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहाँ वे उच्च चिकित्सा निगरानी में थे। 10 नवंबर को उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि हुई।आज उनकी अंतिम यात्रा के दौरान परिवार, रिश्तेदार और बॉलीवुड के साथी कलाकार गहरे दुख में डूबे नजर आए। पत्नी हेमा मालिनी और बेटी ईशा देओल सफेद वस्त्रों में अंतिम संस्कार में पहुँचीं। ईशा ने खुद को दुपट्टे से ढका हुआ था और स्पष्ट दिख रहा था कि पिता की क्षति ने उन्हें भावनात्मक रूप से झकझोर दिया है। बॉबी देओल अन्य परिजन और करीबी मित्र भी इस कठिन घड़ी में परिवार के साथ मजबूती से खड़े रहे।
बॉलीवुड ने दिया आखिरी प्रणाम-सितारों का महासंगम धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार पर बॉलीवुड के बड़े-बड़े नाम श्मशान घाट पहुँचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। यह दृश्य स्पष्ट करता है कि उन्होंने इंडस्ट्री में कितनी अमिट छाप छोड़ी।
श्रद्धांजलि देने पहुंचे प्रमुख कलाकार:
अमिताभ बच्चन -‘शोले’ के जय-वीरू की जोड़ी हमेशा के लिए अमर
सलमान खान
आमिर खान
अभिषेक बच्चन
सलीम खान – परिवार के बेहद करीबी
इसके अलावा करीना कपूर, काजोल और कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक पोस्ट साझा किए। काजोल ने उन्हें दिल से दयालु और सच्चे ओजी कहा। छह दशक का चमकता करियर-एक सुनहरा अध्याय अब इतिहास
धर्मेंद्र ने 1960 में अपने फिल्मी सफर की शुरुआत की और देखते-ही-देखते भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय अभिनेताओं में शामिल हो गए। उनके करियर में एक्शन, रोमांस, कॉमेडी-हर शैली की सफल फिल्में दर्ज हैं।
प्रमुख फिल्में:
शोले, फूल और पत्थर , हकीकत, सीता और गीता, धर्मवीर, चुपके चुपके- भारत सरकार ने उन्हें 2012 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।उनकी ही-मैन छवि उनके संवाद, उनकी मुस्कान और उनका जिंदादिल अंदाज हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में अंकित रहेगा।
एक युग का अंत
धर्मेंद्र का जाना केवल एक अभिनेता का जाना नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम अध्याय का समाप्त होना है।उनकी विरासत-उनका काम, उनकी विनम्रता, उनका संघर्ष-हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। सिनेमा के शोले को अंतिम सलाम। धर्मेंद्र हमेशा दिलों में जिंदा रहेंगे।
