नई दिल्ली। 1962 के रेज़ांग ला युद्ध की शौर्यगाथा पर आधारित फ़िल्म 120 बहादुर को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुना दिया है। बुधवार को अदालत ने फरहान अख्तर अभिनीत इस फ़िल्म की रिलीज़ को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि फ़िल्म अब तय समय 21 नवंबर को ही सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी। इससे निर्माताओं और दर्शकों दोनों के लिए राहत की खबर आई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति शैल जैन शामिल थे, ने याचिका का निपटारा करते हुए फ़िल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ कर दिया। अदालत ने कहा कि अब फ़िल्म का नाम या रिलीज़ की तारीख बदलना संभव नहीं है क्योंकि अंतिम समय में बदलाव करना बहुत देर हो चुकी है। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि निर्माताओं ने फ़िल्म के अंत में विशेष श्रद्धांजलि के रूप में 120 सैनिकों के नाम का उल्लेख किया है जो उनकी वीरता और बलिदान को सम्मानित करता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में कहा कि यदि फ़िल्म का नाम नहीं बदला जाता और अंत में सभी 120 सैनिकों के नाम सही ढंग से जोड़ दिए जाते हैं, तो उन्हें यह स्वीकार्य है। अदालत ने निर्देश दिया कि OTT रिलीज़ के समय केवल सैनिकों के नाम उनके उचित रेजिमेंट के साथ ही उल्लिखित किए जाएं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि वास्तविक सैनिकों का योगदान और गौरव उचित रूप से सम्मानित हो।
याचिका में आरोप था कि फ़िल्म ऐतिहासिक तथ्यों को विकृत कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि फ़िल्म मेजर शैतान सिंह भाटी को ‘भाटी’ नामक काल्पनिक नाम के तहत अकेले नायक के रूप में प्रस्तुत करती है, जिससे रेज़ांग ला में लड़ने वाले अहीर सैनिकों की सामूहिक पहचान और रेजिमेंटल गौरव मिट जाता है। यह याचिका संयुक्त अहीर रेजिमेंट मोर्चा नामक धर्मार्थ ट्रस्ट और रेज़ांग ला की लड़ाई में जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर की गई थी।
फ़िल्म 1962 के भारत-चीन युद्ध में हुई रेज़ांग ला की लड़ाई पर आधारित है। इसमें मेजर शैतान सिंह भाटी की अदम्य बहादुरी को दिखाया गया है, जिन्हें इस लड़ाई के लिए परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया था। वास्तविक युद्ध में इस रेज़िमेंट में मुख्य रूप से 113 अहीर (यादव) सैनिक शामिल थे, जिन्होंने रेज़ांग ला दर्रे की रक्षा करते हुए असाधारण साहस दिखाया। फ़िल्म में मेजर शैतान सिंह की भूमिका फरहान अख्तर ने निभाई है और इसका निर्देशन रजनीश ‘रेज़ी’ घई ने किया है।
निर्माताओं ने फ़िल्म में इतिहास और वीरता का सम्मान करते हुए वास्तविक सैनिकों के योगदान को शामिल करने की कोशिश की है। कोर्ट के फैसले के बाद फ़िल्म अब सिनेमाघरों में निर्धारित समय पर रिलीज़ होगी। इस फैसले ने न केवल निर्माताओं को राहत दी है बल्कि दर्शकों और इतिहास प्रेमियों के लिए भी खुशी की खबर है।
विशेष रूप से यह फ़िल्म भारत के वीर सैनिकों की शौर्यगाथा को पर्दे पर जीवंत करती है और उनके बलिदान को यादगार बनाती है। कोर्ट के फैसले ने यह सुनिश्चित किया कि फ़िल्म का संदेश बिना किसी अड़चन के जनता तक पहुंचे। OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ के दौरान सैनिकों के नाम सही रेजिमेंट के साथ दर्शाने का निर्देश यथार्थ और सम्मान को बनाए रखने का संकेत है।
सिनेमाघरों में फ़िल्म की रिलीज़ से पहले उठे विवाद और याचिका खारिज होने के बाद निर्माताओं और दर्शकों दोनों के लिए उत्साह और खुशी का माहौल बन गया है। यह फ़िल्म न केवल इतिहास के महत्वपूर्ण क्षण को जीवंत करती है बल्कि भारतीय सेना के अदम्य साहस और बलिदान को भी सम्मानित करती है। 21 नवंबर को फ़िल्म का सिनेमाघरों में रिलीज़ होना निश्चित हो गया है, जिससे दर्शक रेज़ांग ला युद्ध की शौर्यगाथा को बड़े पर्दे पर देखने का इंतजार कर रहे हैं।
