नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा और टेलीविजन जगत को अपनी हास्य कला से नया आयाम देने वाले वेटरन अभिनेता सतीश शाह का आज (25 अक्टूबर) दुखद निधन हो गया। 74 वर्षीय अभिनेता ने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में दोपहर करीब 2:30 बजे अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से किडनी (गुर्दे) संबंधी बीमारी से पीड़ित थे और हाल ही में उनका ट्रांसप्लांट भी हुआ था।
उनके निधन की पुष्टि उनके मैनेजर ने की है। सतीश शाह के जाने से कला और मनोरंजन की दुनिया में एक बड़ा खालीपन आ गया है। उनका पार्थिव शरीर फिलहाल अस्पताल में है, और अंतिम संस्कार रविवार को किया जाएगा।
‘इंद्रवदन साराभाई’ बनकर घर-घर में हुए लोकप्रिय
सतीश शाह का चार दशक से अधिक लंबा करियर बेमिसाल रहा। उन्होंने अपनी बेजोड़ कॉमिक टाइमिंग से हर किरदार को यादगार बना दिया:
टीवी आइकॉन: टेलीविजन पर उनका सबसे अमर किरदार सिटकॉम ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में ‘इंद्रवदन साराभाई’ का था। अपनी बहू मोनिशा को लगातार छेड़ने वाले और व्यंग्य करने वाले इस किरदार ने उन्हें कॉमेडी का आइकॉन बना दिया।
कल्ट क्लासिक: 1983 की व्यंग्यपूर्ण फिल्म ‘जाने भी दो यारों’ में कमिश्नर डी’मेलो सहित उनके अलग-अलग रोल आज भी याद किए जाते हैं।
बहुमुखी प्रतिभा: उनकी बहुमुखी प्रतिभा ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘हम साथ-साथ हैं’, ‘कल हो ना हो’ और शाहरुख खान की ‘मैं हूं ना’ जैसी 200 से अधिक फिल्मों में देखने को मिली।
सहकलाकारों ने जताया गहरा दुःख
सतीश शाह का जाना केवल एक अभिनेता का जाना नहीं, बल्कि भारतीय हास्य कला के एक बेहतरीन दौर का अंत है। उनके निधन की खबर से पूरा बॉलीवुड स्तब्ध है।
‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ में उनकी सहकलाकार रत्ना पाठक शाह ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि सतीश जी सिर्फ एक कलाकार नहीं, बल्कि अभिनय की एक संस्था थे। उनके संवाद, उनकी मुस्कान और उनका सहज अंदाज भारतीय दर्शकों की स्मृतियों में हमेशा जीवंत रहेगा।
