बॉलीवुड अभिनेत्री यामी गौतम ने हाल ही में दीपिका पादुकोण की आठ घंटे की कार्यशिफ्ट की मांग का समर्थन किया है। यामी का कहना है कि लंबे समय तक शूटिंग करने से न केवल कलाकारों की शारीरिक सेहत पर असर पड़ता है, बल्कि मानसिक थकान भी बढ़ती है। उन्होंने इसे फिल्म इंडस्ट्री में संतुलित कार्यसंस्कृति की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया।
“दशकों से जारी है लंबी शिफ्ट की परंपरा”
यामी गौतम ने बताया कि फिल्म इंडस्ट्री में लंबे समय तक शूटिंग करने की परंपरा दशकों से जारी है। उन्होंने कहा, “कई कलाकार अब दिन में आठ घंटे और हफ्ते में पांच दिन शूटिंग करना पसंद करते हैं। यह बदलाव कार्य और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने में मददगार है।”
यामी के मुताबिक, यह बदलाव धीरे-धीरे इंडस्ट्री में नए मानक स्थापित कर रहा है, जिसमें कलाकारों की सेहत, उत्पादकता और मानसिक सुकून को प्राथमिकता दी जा रही है।
निर्देशक, निर्माता और कलाकार की सहमति जरूरी
यामी गौतम ने स्पष्ट किया कि शूटिंग की समयसीमा हमेशा निर्देशक, निर्माता और अभिनेता की सहमति से तय होती है। उन्होंने कहा, “हर फिल्म की शूटिंग परिस्थितियां अलग होती हैं — लोकेशन, मौसम, तकनीकी सीमाएं और कलाकारों की उपलब्धता जैसी बातें समय निर्धारण को प्रभावित करती हैं।”
यामी ने माना कि इंडस्ट्री में अन्य पेशों की तरह निश्चित शिफ्ट का पालन करना कठिन होता है, लेकिन सहयोग और पारदर्शिता से बेहतर माहौल तैयार किया जा सकता है।
“हर माँ अपने बच्चे के लिए खास होती है”
अपनी बात को विस्तार देते हुए यामी गौतम ने महिलाओं और मातृत्व के संतुलन पर भी बात की। उन्होंने कहा, “चाहे कोई महिला कामकाजी हो या गृहिणी, हर माँ अपने बच्चे के लिए खास होती है और अपनी सीमाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रयास करती है।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब कोई पुरुष कलाकार अपनी शिफ्ट तय करता है तो उसे सामान्य माना जाता है, लेकिन जब कोई महिला कलाकार ऐसा करती है तो उसे विवाद का विषय बना दिया जाता है।
दीपिका पादुकोण का मामला बना चर्चा का केंद्र
दरअसल, यामी का यह बयान उस समय आया जब दीपिका पादुकोण ने फिल्म स्पिरिट छोड़ दी थी। उन्होंने कहा था कि वह आठ घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहतीं ताकि अपनी बेटी दुआ के साथ समय बिता सकें। इसके बाद दीपिका को कल्कि 2 से भी हटा दिया गया। इस फैसले ने फिल्म उद्योग में कार्यघंटों और मातृत्व संतुलन पर एक नई बहस छेड़ दी।
“कलाकार भी इंसान हैं, उन्हें भी संतुलन चाहिए”
यामी गौतम ने कहा, “अभिनेताओं को भी इंसान की तरह अपनी जिंदगी जीने का हक है। अगर प्रोडक्शन के लिए समय उपयुक्त है तो शूटिंग बढ़ाई जा सकती है, अन्यथा नहीं — इसमें कोई गलत बात नहीं है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक स्वस्थ और सुरक्षित कार्यपरिसर कलाकारों को न केवल बेहतर प्रदर्शन करने में मदद करता है, बल्कि यह इंडस्ट्री की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।
महिला कलाकारों की आवाज़ को नई मजबूती
यामी गौतम का यह बयान महिला कलाकारों के लिए एक सशक्त समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह साफ है कि बॉलीवुड में अब समय-सीमा, निजी जीवन और पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच संतुलन को लेकर गंभीर चर्चा शुरू हो चुकी है।
यामी की बात ने न सिर्फ दीपिका पादुकोण को नैतिक समर्थन दिया है, बल्कि इंडस्ट्री में मानव-केन्द्रित कार्यसंस्कृति की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला है।
