देशभर में सोने और चांदी की कीमतों में एक बार फिर बड़ी गिरावट देखने को मिली है। बीते कुछ दिनों से सोने के भाव में लगातार नरमी का रुख बना हुआ है, वहीं चांदी भी अपने ऑल टाइम हाई से नीचे आ चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बाजारों में अस्थिरता और डॉलर की मजबूती के कारण सोने-चांदी के दामों पर दबाव बढ़ा है।
MCX पर सोना और चांदी गिरे
सोमवार को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने के वायदा भाव में 1.01% की गिरावट दर्ज की गई और यह ₹1,22,199 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। वहीं, चांदी के वायदा भाव में 0.93% की कमी आई और इसका भाव ₹1,46,097 प्रति किलोग्राम रहा। यह गिरावट इस बात की ओर इशारा करती है कि निवेशकों की रुचि कीमती धातुओं की ओर फिलहाल कम होती दिख रही है।
महानगरों में आज के ताज़ा रेट
27 अक्टूबर को देश के प्रमुख महानगरों में सोने के दाम इस प्रकार रहे—
दिल्ली: 24 कैरेट सोना ₹12,463 प्रति ग्राम, 22 कैरेट ₹11,425 प्रति ग्राम, और 18 कैरेट ₹9,351 प्रति ग्राम।
मुंबई: 24 कैरेट ₹12,448, 22 कैरेट ₹11,410, और 18 कैरेट ₹9,336 प्रति ग्राम।
कोलकाता: दरें मुंबई जैसी ही रहीं — 24 कैरेट ₹12,448, 22 कैरेट ₹11,410, और 18 कैरेट ₹9,336 प्रति ग्राम।
चेन्नई: यहां कीमतें थोड़ा अधिक दर्ज की गईं — 24 कैरेट ₹12,491, 22 कैरेट ₹11,450, और 18 कैरेट ₹9,575 प्रति ग्राम।
बेंगलुरु: 24 कैरेट ₹12,448, 22 कैरेट ₹11,410, और 18 कैरेट ₹9,336 प्रति ग्राम पर कारोबार हुआ।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि दक्षिण भारत में सोने की कीमतें उत्तर भारत की तुलना में मामूली रूप से अधिक बनी हुई हैं।
ग्लोबल फैक्टर्स का असर
विश्लेषकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में बढ़ोतरी से सोने-चांदी की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। निवेशक फिलहाल जोखिम वाले एसेट्स की ओर झुकाव दिखा रहे हैं, जिससे कीमती धातुओं की मांग में गिरावट आई है। इसके अलावा भारत और चीन में कमजोर ज्वैलरी मांग ने भी कीमतों को नीचे खींचा है।
आगे क्या होगा?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगले हफ्ते सोने के दामों में और गिरावट देखने को मिल सकती है। जेएम फाइनेंशियल के विश्लेषक प्रणव मेर के मुताबिक, “हाल की मुनाफावसूली, भारत-चीन की कमजोर मांग और मजबूत डॉलर के दबाव में घरेलू सोने की कीमतें दस हफ्तों में पहली बार नकारात्मक स्तर पर बंद हुई हैं।”
निवेशक अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व की अगली बैठक और फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों पर नज़र रखे हुए हैं, क्योंकि इनके फैसले से अंतरराष्ट्रीय सोने के रुझान पर सीधा असर पड़ सकता है।
निवेशकों के लिए सलाह
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट दीर्घकालिक निवेशकों के लिए एक अवसर हो सकती है। सोना अभी भी लंबी अवधि में सुरक्षित निवेश माना जाता है। हालांकि, अल्पकालिक निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि आने वाले कुछ हफ्तों में कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है।
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