पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने बुधवार (29 अक्टूबर) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला, जिससे चुनावी मुकाबले में सियासी हलचल और तेज हो गई है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ‘तरस’ आता है क्योंकि बीजेपी ने उन्हें केवल एक डमी बना दिया है और वास्तविक निर्णयों से दूर रखा गया है। यह टिप्पणी उन्होंने उस वीडियो के संदर्भ में की, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गलती से कहा कि बिहार में 47 जिले हैं, जबकि असल में राज्य में केवल 38 जिले हैं।
तेजस्वी यादव ने आगे कहा, “हाँ, मैंने वह वीडियो देखा। मुझे नीतीश कुमार पर दया आती है। बीजेपी ने उनका इस्तेमाल सिर्फ सत्ता में बने रहने के लिए किया है।” उन्होंने मुख्यमंत्री की मानसिक स्थिति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि नीतीश पहले विकास, सुशासन और नैतिक राजनीति की बात करते थे, लेकिन अब वे बीजेपी की रिमोट से चलने वाली सरकार के मुखिया बन गए हैं। जनता इस बदलाव को देख रही है और आने वाले चुनाव में इसका जवाब देगी।
राजद नेता ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में बोल भी नहीं पा रहे हैं, और यह देखकर दुख होता है कि जिन्होंने कभी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की बात की, वे आज उसी पार्टी के इशारे पर काम कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन बिहार को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका लक्ष्य केवल सत्ता हासिल करना नहीं, बल्कि जनता की सेवा करना है।
उन्होंने बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य और पलायन जैसे वास्तविक मुद्दों पर काम करने की प्रतिबद्धता जताई, जबकि उन्होंने कहा कि बीजेपी और जदयू की राजनीति केवल कुर्सी बचाने तक सीमित रह गई है।
तेजस्वी यादव के इस बयान ने बिहार की सियासत में नया विवाद खड़ा कर दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि चुनावी रणनीति में यह बयान महागठबंधन के लिए लाभदायक हो सकता है, क्योंकि इसे जनता तक “सच्चाई की आवाज़” के रूप में पेश किया जा रहा है। दूसरी ओर, बीजेपी और जदयू के नेता इस बयान का पलटवार करने की तैयारी में जुट गए हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच बढ़ते दबाव के बीच यह बयान बिहार की सियासत में गर्मी बढ़ा सकता है, खासकर तब जब चुनाव नजदीक हैं और वोटरों के मन में सत्ता और नीति दोनों को लेकर जिज्ञासा बढ़ रही है।
इस बयान के बाद बिहार चुनावी राजनीति में नया मोड़ आया है, और सभी पार्टियां जनता को रिझाने के लिए अपनी-अपनी रणनीति तेज कर रही हैं। महागठबंधन इसे नीतीश कुमार और बीजेपी की साझी सियासत के विरोध में जनता की आवाज़ के रूप में पेश कर रहा है, जिससे आगामी चुनावी मुकाबला और निर्णायक होने की संभावना है।
