नई दिल्ली । बिहार विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भारतीय राजनीति में परिवारवाद को लेकर एक बार फिर हलचल मचा दी है। थरूर ने हाल ही में प्रकाशित अपने नए लेख में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव का नाम लिया, साथ ही बिहार से केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का भी जिक्र किया। उनका कहना है कि वंशानुगत राजनीति देश के लोकतंत्र और पारदर्शिता के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है।
शशि थरूर के अनुसार, नेहरू-गांधी परिवार दशकों से भारतीय राजनीति पर दबदबा बनाए हुए है। उन्होंने बताया कि देश की स्वतंत्रता में योगदान के बावजूद इस परिवार ने यह धारणा स्थापित की कि राजनीति में वंशानुगत अधिकार संभव हैं। थरूर ने कहा कि यही प्रवृत्ति अब देश के हर क्षेत्र और हर पार्टी में देखने को मिलती है। उदाहरण के तौर पर जनता दल के संस्थापक बीजू पटनायक के बाद उनके बेटे नवीन पटनायक ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली और ओडिशा के मुख्यमंत्री बने।
बिहार में तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं। लालू यादव ने अपनी राजनीतिक विरासत तेजस्वी को सौंप दी, जबकि बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी से अलग कर दिया गया। इसके अलावा, चिराग पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान के बेटे हैं और बिहार की 29 सीटों पर एनडीए के सहयोगी दलों के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।
थरूर ने इस प्रवृत्ति को केवल कुछ परिवार तक सीमित नहीं बताया, बल्कि जम्मू-कश्मीर के अब्दुल्ला परिवार, मुफ्ती खानदान, महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार, तमिलनाडु के स्टालिन परिवार और तेलंगाना के केसीआर परिवार सहित पूरे देश में इसे फैला हुआ बताया। उन्होंने कहा कि पंचायत से संसद तक वंशानुगत राजनीति की जड़े मौजूद हैं। 149 परिवारों के सदस्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व रखते हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री शामिल हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि शशि थरूर का यह लेख न केवल कांग्रेस के भीतर परिवारवाद पर आत्ममंथन की बात करता है, बल्कि बिहार चुनाव जैसे महत्वपूर्ण समय में बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों के लिए भी राजनीतिक चर्चा का नया मुद्दा खड़ा करता है। थरूर ने चेतावनी दी है कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए दीर्घकालीन खतरा बन सकती है।
