नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में उतरे 1,303 उम्मीदवारों में लगभग 40 प्रतिशत करोड़पति हैं। एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) और बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, उम्मीदवारों के शपथ पत्र में घोषित संपत्ति के आधार पर यह जानकारी सामने आई है। औसतन प्रत्येक उम्मीदवार के पास 3.26 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
रिपोर्ट में कुल 1,314 उम्मीदवारों में से 1,303 उम्मीदवारों द्वारा दी गई वित्तीय, आपराधिक, शिक्षा, लिंग और अन्य जानकारियों का विश्लेषण किया गया। पहले चरण में केवल 121 विधानसभा क्षेत्रों में नौ फीसदी (121) महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। इस चरण में 432 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं, यानी लगभग एक तिहाई उम्मीदवार ‘दागी’ हैं।
संपत्ति के आधार पर आंकड़े बताते हैं कि कुल उम्मीदवारों में आठ फीसदी (103) के पास 10 करोड़ से अधिक, सात फीसदी (93) के पास 5 से 10 करोड़ और 25 फीसदी (323) के पास 1 से 5 करोड़ रुपये की संपत्ति है। 32 फीसदी (417) उम्मीदवारों की संपत्ति 20 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है और 28 फीसदी (367) उम्मीदवारों के पास 20 लाख रुपये से कम की संपत्ति है।
इस चरण के सबसे धनी उम्मीदवार मुंगेर से भाजपा के कुमार प्रणय हैं, जिनकी संपत्ति 170 करोड़ रुपये बताई गई है। दूसरे नंबर पर सीवान से निर्दलीय उम्मीदवार राजकिशोर गुप्ता (137 करोड़) और तीसरे स्थान पर मोकामा के जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह (100 करोड़) हैं।
पार्टीवार औसत संपत्ति की बात करें तो भाजपा के 48 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 11.30 करोड़, राजद के 70 उम्मीदवारों की 10.37 करोड़, जदयू के 57 उम्मीदवारों की 8.75 करोड़, कांग्रेस के 23 उम्मीदवारों की 5.85 करोड़ और जन सुराज पार्टी के 114 उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 5.72 करोड़ रुपये है।
आयु के आधार पर उम्मीदवारों की स्थिति यह है कि कुल 36 फीसदी (463) की आयु 25 से 40 वर्ष के बीच है। 51 फीसदी (669) उम्मीदवारों की आयु 41 से 60 वर्ष के बीच है और 13 फीसदी (169) उम्मीदवार 61 से 80 वर्ष के बीच हैं। इस चुनाव में दो उम्मीदवार 80 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
शैक्षिक योग्यता के मामले में 50 फीसदी (651) उम्मीदवार स्नातक या उससे अधिक योग्य हैं। 105 उम्मीदवार डिप्लोमा धारक हैं, 105 साक्षर और आठ असाक्षर हैं। करीब 40 फीसदी (519) उम्मीदवारों की योग्यता 5वीं से 12वीं के बीच है।
इस रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि बिहार के पहले चरण के विधानसभा चुनाव में धनशाली उम्मीदवारों की संख्या अधिक है, वहीं युवा और शिक्षित उम्मीदवार भी काफी भागीदारी कर रहे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि संपत्ति और अनुभव के साथ-साथ उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता और आपराधिक पृष्ठभूमि चुनाव परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है।
